नई दिल्ली। विपक्षी दलों द्वारा वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) को गब्बर सिंह टैक्स बताने और व्यापारी वर्ग का विरोध झेल रही केंद्र सरकार ने जीएसटी को सरल एवं सुगम बनाने के लिए एक परामर्श समिति का गठन किया है। समिति जीएसटी क़ानून एवं उसके नियमों में बदलाव के बिदुओं पर विचार कर अपनी सिफ़ारिशें महीने के अंत में विधि समिति को देगी। इस समिति में अखिल भारतीय व्यापारी परिसंघ (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल सहित पांच व्यक्तियों को शामिल किया गया है। इसका संयोजक केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड के पूर्व मुख्य आयुक्त गौतम को बनाया गया है।
![जीएसटी सरलीकरण के लिए हुआ परामर्श समिति का गठन 10 Ensure, registration, GST, Chief Secretary, Ranchi, Rajbala Verma](https://bharatkhabar.com/wp-content/uploads/2017/07/cdf027d2-9362-4e1d-87d6-f4977c4e53ee.jpg)
बता दें कि इसके अन्य सदस्यों में सेंटर फ़ॉर लीगल पॉलिसी के शोध अद्रसेन गुप्ता, चार्टर्ड अकाउंटेंट विनोद जैन, भारतीय निर्यातक महासंघ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अजय सहाय एवं लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष ओम प्रकाश मित्तल शामिल हैं। केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए समिति में शामिल खंडेलवाल ने रविवार को कहा कि इसकी पहली बैठक आगामी आठ नवंबर को होगी। इस दौरान जीएसटी क़ानून एवं नियमों के हर पहलू पर गंभीरतापूर्वक चर्चा की जाएगी।
वहीं उनका कहना है कि प्रस्तावित बदलावों की सिफ़ारिशें क़ानून समिति को 30 नवम्बर तक सौंपी जाएंगी। जीएसटी व्यवस्था को सरल एवं सुगम बनाने के लिए गठित इस सलाहकार समिति का देश के असंगठित क्षेत्र के खुदरा व्यापारियों के कई संगठनों ने स्वागत किया है।संगठनों ने जीएसटी क़ानून को लेकर आपसी सहमति बनाने की दिशा में सरकार का यह पहला ठोस क़दम बताया है।
साथ ही उल्लेखनीय है कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देश में 1 जुलाई 2017 से जीएसटी (एक राष्ट्र एक टैक्स) को लागू किया गया था। इसमें केन्द्र व विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भिन्न-भिन्न दरों पर लगाए जा रहे विभिन्न करों को हटाकर पूरे देश के लिए एक ही कर प्रणाली लागू की गई थी।