नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत ने सोमवार को कहा कि सरकार की जनहित स्कीम के लिए आधार कार्ड जरुरी नहीं है। इसलिए कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए आधार का अनिवार्य करना पूरी तरह से गलत है। हालांकि कोर्ट ने साफ किया कि सरकार को बैंक खाते खोलने जैसी अन्य योजनाओं में आधार का इस्तेमाल करने से रोका नहीं जा सकता।
चीफ जस्टिस जेएस खेहर की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि आधार को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के लिए सात न्यायाधीशों की एक पीठ गठित की जानी है लेकिन इस समय ऐसा संभव नहीं है। हाल ही में सरकार ने करीब एक दर्जन केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों के लिए 12 अंको वाले आधार कार्ड को अनिवार्य करने का फैसला लिया है। इसमें स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले मिड डे मील की स्कीम भी शामिल था जिस पर बाद में छूट देने का फैसला लिया गया।
इसके साथ ही कुछ दिन पहले सभी रक्षा पेंशनभोगियों और किसी मृतक कर्मी पर आश्रित परिवार के सदस्यों को अब पेंशन प्राप्त करने के लिए 30 जून तक आधार कार्ड के लिए नामांकन करना होगा। रक्षा मंत्रालय ने लाभार्थियों द्वारा पेंशन पाने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने संबंधी एक अधिसूचना जारी की है। सरकार वित्तीय लाभों और अन्य सेवाओं के लिए आधार को तेजी से अनिवार्य बना रही है। उसका कहना है कि ऐसे पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है। अधिसूचना में कहा गया है कि पेंशन पाने के लिए लाभार्थियों को 30 जून तक आधार नामांकन के लिए अर्जी देनी होगी।