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केंद्रीय पंचायत सचिव ने पंचायतों के सामने पेश किया ‘ईज ऑफ लिविंग’ का खाका, जानें किस तरह ​होगा काम

20709640 0d37 49f1 84eb 124b5abe2b71 केंद्रीय पंचायत सचिव ने पंचायतों के सामने पेश किया 'ईज ऑफ लिविंग' का खाका, जानें किस तरह ​होगा काम

उत्तराखंड। राज्य की उन्नति के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं। जिनके द्वारा राज्य के लोगों को आगे बढ़ने का एक नजरिया मिला है। इसके साथ ही राज्य सरकार के द्वारा किसानों की आय बढ़ाने का काम भी किया गया है। इसी बीच अब प्रदेश की साढ़े सात हजार से अधिक ग्राम, जिला और क्षेत्र पंचायतें अब ईज ऑफ लिविंग के लिए काम करेंगी। इसके साथ ही ग्राम पंचायतें अब स्थानीय स्तर की योजनाओं के लिए 10 साल का खाका खींचेंगी। इसके लिए पंचायत और नियोजन विभाग में एमओयू भी हो गया है। प्रदेश में ग्राम पंचायतों ने सतत विकास के लिए काम करना शुरू कर दिया है। इसमें उसे नियोजन विभाग की मदद भी मिलेगी।

सतत विकास के 19 लक्ष्य घोषित किए गए-

बता दें कि हाल ही में उत्तराखंड के दौरे पर आए केंद्रीय पंचायत सचिव सुनिल कुमार ने इसका खाका पंचायतों के सामने रखा था। उनका कहना था कि पंचायतों को यह अनुमान भी लगाना होगा कि अगले दस साल में संसाधनों पर दबाव कितना बढ़ जाएगा। इस अनुमान के आधार पर योजनाओं को तैयार किया जाना चाहिए। यह स्थानिक योजना होगी। ग्राम पंचायतों को अब मास्टर प्लान भी बनाना होगा। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र की ओर से सतत विकास के 19 लक्ष्य घोषित किए गए हैं। ये लक्ष्य बेहतर पानी, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा, काम की अवधि आदि से संबंधित हैं। इन्हीं को आधार बनाकर अब ग्राम पंचायतें योजनाएं बनाते हुए यह भी देंखेेंगी कि उनकी योजनाओं से लोगों का जीवन कितना सुविधाजनक हो रहा है और लोगों की संतुष्टि का स्तर क्या है। इसे ही ईज ऑफ लिविंग कहा गया है और इस काम को प्रदेश की पंचायतों में लागू करने का काम शुरू हो गया है। नियोजन विभाग के स्तर से पंचायतों की इस मामले में मदद की जाएगी। नियोजन विभाग बताएगा कि ईज ऑफ लिविंग के लक्ष्य क्या हैं। इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए किस तरह से काम किया जाएगा, योजनाएं किस तरह से बनाई जाएंगी।

नियोजन विभाग के साथ एमओयू हो गया-

सतत विकास के लक्ष्यों के आधार पर ग्राम पंचायतों में योजनाओं के निर्माण का काम शुरू कर दिया गया है। इसमें सबसे जरूरी हिस्सा है ग्राम पंचायतों में रह रहे लोगों की संतुष्टी का स्तर। इसे ही ईज ऑफ लिविंग भी कहा जा सकता है। इसके लिए नियोजन विभाग के साथ एमओयू हो गया है। ईज ऑफ लिविंग को अमली जामा पहनाने के लिए पंचायत विभाग और नियोजन के बीच एमओयू भी हो गया है। पंचायत सचिव हरि चंद्र सेमवाल ने इसकी पुष्टि की और बताया कि नियोजन विभाग की सतत विकास के लक्ष्यों को अमलीजामा पहनाने वाली टीम इस मामले में पंचायतों की मदद करेगी।

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