लखनऊ। केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने यहां रविवार को कहा कि 25 जून, 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाया गया आपातकाल भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बदनुमा धब्बा और देश के इतिहास का सबसे काला दिन है। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान लोकतंत्र को कुचल दिया गया था, देश के नागरिकों के अधिकारों का हनन हुआ, विपक्षी नेताओं को जेल में डाल दिया गया। इतना ही नहीं, प्रेस की आजादी पर भी रोक लगा दी गई थी।
भाजपा प्रदेश कार्यालय पर आयोजित ‘लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान’ समारोह में उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में देश की जनता विशेषकर युवा सड़कों पर उतर आए थे। सैकड़ों लोकतंत्र के सेनानियों की जेल में मौत हुई, बर्बरता और बेरहमी के साथ राजनीतिक विरोधियों पर जुल्म की पराकाष्ठा हुई।
नकवी ने कहा कि आपातकाल पहला मौका नहीं था, जब कांग्रेस ने लोकतंत्र की हत्या की, लोकतंत्र की हत्या करना हमेशा से कांग्रेस की आदत थी। कांग्रेस का इतिहास लोकतंत्र की हत्या के अनेक उदाहरणों से भरा पड़ा है। कई अवसरों पर कांग्रेस ने संवैधानिक संस्थाओं तथा अन्य संस्थानों का दुरुपयोग कर प्रजातंत्र को कमजोर किया।
उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार के दौरान पूरे देश ने देखा कि किस तरह कांग्रेस ने सीबीआई तथा अन्य संवैधानिक संस्थाओं का राजनीतिक दुरुपयोग किया, संस्थाओं के बीच मतभेद पैदा कर देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने की कोशिश की। राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे मामलों को अपना राजनैतिक हथियार बनाया।
नकवी ने कहा कि ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ का मतलब किसी राजनीतिक पार्टी से देश को मुक्त कराना नहीं, बल्कि उस सामंती मानसिकता और तानाशाही सोच से देश को मुक्त कराना है जिसकी कांग्रेस प्रतीक है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आपातकाल के बाद कांग्रेस मुक्त भारत की नींव पड़ चुकी थी। कांग्रेस पार्टी की तानाशाही, जुल्म और सामंती सोच का नतीजा है कि आज कांग्रेस देश के राजनीतिक नक्शे से सिमटती-सिकुड़ती जा रही है। कांग्रेस के साथ खड़ी पार्टियों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
संसद में कई विधेयकों के पास नहीं हो पाने के विषय में बोलते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के पास लोकसभा में बहुमत है, लेकिन राज्यसभा में बहुमत न होने के कारण कुछ विधेयक जरूर रुक जाते हैं।
उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद दिल्ली में जमे दलालों को छुट्टी कर दी, उससे घबराकर देश में कांग्रेस ने असहिष्णुता का माहौल बना दिया। हड़प्पा की खुदाई कर पुरस्कार वापस करने का अभियान छेड़ा गया। जेएनयू में भारत माता की बबार्दी तक जंग करने और अफजल की फांसी पर रोने का माहौल बनाया गया।
35 लोकतंत्र सेनानी हुए सम्मानित :
भाजपा मुख्यालय में आयोजित सम्मान समारोह में नकवी ने राजेंद्र तिवारी, रास बिहारी, रमाशंकर त्रिपाठी, केदारनाथ श्रीवास्तव, सरल मालवीय, सुरेश कुमार, गणेश राय, अशोक शर्मा, रवि शंकर, शरद मालवीय, राकेश स्वरूप, मोहन लाल गुप्ता, अजीत कुमार, मधुकर मिश्रा, भगवानदास गुप्ता, बृज किशोर मिश्रा, टापू राम शुक्ला, प्रेमचंद्र गुप्ता, सुरेश चंद्र मिश्रा सहित 35 लोकतंत्र सेनानियों को अंगवस्त्र भेंटकर सम्मानित किया। सम्मानित होने वालों में किसी मुस्लिम या दलित को नहीं देखा गया।
(आईएएनएस)