नई दिल्ली। अंग्रेजो की सालों तक गुलामी करने के बाद जब भारतीयों के हाथ में सत्ता आई तो हमारे नेताओं के सामने सबसे बड़ी जिम्मेदारी थी भारतीयों के लिए एक अलग संविधान का निर्माण करना। भारत के संविधान का मूल अर्थ हमारे नेताओं ने रखा था कि हमें ऐसा संविधान तैयार करना है, जिसमें भारत के हर नागरिक की आस्था हो। भारत का हर वो नागरिक जिसने गुलामी की जंजीर तोड़कर आजादी की नई सबुह में कदम रखा है, उन्हें देश में हर वो अधिकार मिले जो उन्हें अंग्रेजी हुकुमत के दौरान नहीं मिला। हमारे संविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडगर ने जैसे भारत कि परिल्पना की थी क्या हम उस पर अटल है इसको लेकर चर्चा तो होनी चाहिए। खैर आज संविधान दिवस है आज ही के दिन 26 नवंबर 1949 को भारत ने नए सविंधान को स्वीकार किया था और इसे दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।
आपको बता दें कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने साल 2015 में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रुप में मनाने का आदेश दिया था। इसी के साथ पीएम ने संविधान दिवस के अवसर पर अपनी मन की बात कार्यक्रम से देशवासियों को बधाई दी। इससे पहले उन्होंने ट्विटर पर संविधान निर्माताओं को याद करते हुए एक वीडीयो पोस्ट किया। वहीं राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने ट्विट कर सविंधान सभा के सदस्यों को याद किया और संविधान निर्माता डॉ भीमराव अम्बेडगर को श्रद्धांजलि दी। संविधान दिवस के अवसर पर बीजेपी के राष्टीय अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि 26 नवंबर का ये दिन मोदी सरकार ने संविधान के महत्व का प्रचार करने और बाबा साहब भीम राव अम्बेडगर के विचारो को जन-जन तक पहुंचाने के लिए चुना है।
अमित शाह ने आगे कहा कि मैं सभी देशवासियों को बाबा साहब के योगदान और दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के सर्व-समावेशी संविधान को समर्पित संविधान दिवस की समस्त देशवासियों को शुभकामनाएं देता हूं। बताते चलें कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने सभी विश्वविद्यालयों को संविधान दिवस मानाने का निर्देश जारी कर दिया है। आयोग ने देश भर के कुलपतियों को लिखे पत्र में कहा कि सभी विश्वविद्यालय संविधान दिवस के अवसर पर विभिन्न तरह कि गतिविधियों का आयोजन और मौलिक कर्तव्यों पर व्याख्यान आयोजित करने और इस संबंध में सूचना कॉलेज के नोटिस बोर्ड पर भी लगाने का निर्देश दिया है।