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किसान आंदोलनः कमेटी की बैठक खत्म, 21 जनवरी को करेगी किसानों से बात

cf2ac8b7 4190 4771 8a02 cb2d8f578cbd किसान आंदोलनः कमेटी की बैठक खत्म, 21 जनवरी को करेगी किसानों से बात

नई दिल्ली। देश में कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन दिनों दिन उग्र होेने पर है। किसान आंदोलन दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 55 दिनों से जा रही है। इसके साथ ही किसान संगठनों और सरकार के बीच 9 दौर की बैठक हो चुकी है, लेकिन किसी में भी कोई समाधान नहीं निकला है। जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए एक कमेटी गठित की थी। जिसके चलते आज यानि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई कमेटी की पहली बैठक हुई। इसी बीच कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने ये जानकारी दी कि इस बैठक में ये तय किया गया है कि ये कमेटी किसानों के साथ 21 जनवरी को पहली बैठक करेगी, जो सुबह 11 बजे शुरू होगी।

किसान संगठनों ने कमेटी से बात करने से इनकार किया-

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को अगले आदेश तक तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही गतिरोध खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक चार सदस्यीय कमेटी भी बनाई थी। हालांकि किसान संगठनों ने कमेटी से बात करने से इनकार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अनिल घनवट के अलावा भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष भूपिंदर सिंह मान, कृषि-अर्थशास्त्रियों अशोक गुलाटी और प्रमोद कुमार जोशी को इस समिति का सदस्य बनाया। बाद में भूपिंदर सिंह मान ने खुद को इससे अलग कर लिया। जिसके चलते आज कमेटी की पहली बैठक हुई। जिसमें तय किया गया कि 21 जनवरी को किसानों के साथ कमेटी बैठक करेगी। इसी बीच अनिल घनवट ने कहा कि हमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं कि हमें सभी किसान संगठनों जो कानूनों का समर्थन कर रहे हैं और जो कानूनों का विरोध कर रहे हैं। हितधारकों को सुनना है और रिपोर्ट तैयार करके सुप्रीम कोर्ट को भेजनी है। उन्होंने कहा कि वे किसी पक्ष या सरकार के पक्ष में नहीं हैं।

प्रदर्शनकारी किसानों को हमसे बातचीत के लिए तैयार करना चुनौती- अनिल घनवट

इसके साथ ही अनिल घनवट कहा कि समिति की सबसे बड़ी चुनौती प्रदर्शनकारी किसानों को हमसे बातचीत के लिए तैयार करने की होगी। हम इसका यथासंभव प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि समिति केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा किसानों और सभी अन्य हितधारकों की कृषि कानूनों पर राय जानना चाहती है। उन्होंने कहा कि समिति के सदस्य सुप्रीम कोर्ट में जमा करने के लिए रिपोर्ट तैयार करने के दौरान कृषि कानूनों पर अपनी निजी राय को अलग रखेंगे

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