लखनऊ। अयोध्या केस की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ कर दिया कि इस मामले 18 अक्टूबर के बाद पक्षकारों को जिरह के लिए एक भी दिन अतिरिक्त समय नहीं मिलेगा। शीर्ष अदालत ने साफ किया कि सुनवाई पूरी करने की डेडलाइन नहीं बढ़ाई जाएगी। बता दें कि अबतक 31 दिनों की सुनवाई शीर्ष अदालत में हो चुकी है। हिंदू पक्षकारों ने अपनी दलीलें रख दी हैं और मुस्लिम पक्षकार की दलीलें जारी हैं।
बता दें कि चीफ जस्टिस रंजन गोगाई के नेतृत्व वाले पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि अगर 18 अक्टूबर तक दलीलें पूरी हो जाती हैं तो चार सप्ताह में फैसला देना किसी करिश्मे से कम नहीं होगा। बता दें कि चीफ जस्टिस गोगोई 17 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों से कहा कि आज का दिन मिलाकर 18 अक्टूबर तक हमारे पास साढ़े 10 दिन हैं। सुप्रीम कोर्ट ने आगाह करते हुए कहा कि अगर 18 अक्टूबर तक सुनवाई पूरी नहीं होती है, तो फैसला आने की उम्मीदें कम हो जाएंगी।
वहीं इलाहाबाद हाई कोर्ट के 30 सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में 14 अपीलें दायर की गई हैं। हाई कोर्ट ने विवादित 2.77 एकड़ भूमि को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला विराजमान के बीच समान रूप से विभाजित करने का आदेश दिया था। हालांकि, शीर्ष अदालत ने मई 2011 में हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के साथ ही अयोध्या में विवादित स्थल पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था।