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नोटबंदी के दर्द को बयां करती अनुराग कश्यप की चोक्ड वेब सीरिज..

chocked 1 नोटबंदी के दर्द को बयां करती अनुराग कश्यप की चोक्ड वेब सीरिज..

8 नवंबर रात 8 बजे का वो पीएम मोदी का संबोधन कोई नहीं भूल सकता है। जब सरकार की तरफ से अचानक से 500 और 1000 के नोट बंद करने का एलान किया गया था। इस एलान के बाद आम हो या खास सभी बैंकों से लेकर एटीएम की लाइन में लगा नजर आ रहा था। नोटबंदी को लेकर काफी नाराजगी भी देखने को मिली थी।

नोटबंदी नोटबंदी के दर्द को बयां करती अनुराग कश्यप की चोक्ड वेब सीरिज..
ये एक एक फैसला था जिसने देश की अर्थववस्था की दिश और दशा दोनों ही बदल दी थी। एक बार फिर से नोटबंदी की उन 4 साल पुरानी यादों को वापस लेकर आयी है अनुराग कश्यप की वेब सीरिज चोक्ड।सोशल मीडिया में मौजूदा राजनीति को लेकर मुखर अनुराग कश्यप ने इस बार पिछले कुछ सालों में हुई सबसे अहम सियासी घटनाओं में से एक नोटबंदी को अपनी फ़िल्म ‘चोक्ड- पैसा बोलता है’ की कहानी का आधार बनाया है। इस घटना पर अनुराग की यह सिनेमाई टिप्पणी कही जा सकती है।

चोक्ड’ नेटफ्लिक्स पर शुक्रवार को 12.30 बजे रिलीज़ कर दी गयी है। यह फ़िल्म अनुराग की बहुत महान रचना तो नहीं, मगर बेहतरीन राइटिंग और परफॉर्मेंसेज़ की वजह से दर्शक को बांधे रखती है।

कहानी मुंबई में रहने वाले एक मिडिल क्लास परिवार की है। बीवी सरिता बैंक में काम करती है। पति सुशांत बेरोज़गार है। दोनों का एक बच्चा है। सुशांत नौकरी छोड़ चुका है। दोस्त के साथ इंश्योरेंस पॉलिसी बेचने का काम करता है। आमदनी का कोई स्थायी ज़रिया नहीं है। घर चलाने की ज़िम्मेदारी सरिता पर आ गयी है। इसको लेकर दोनों के बीच अक्सर झगड़े होते हैं। सुशांत म्यूज़िक इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए संघर्ष कर रहा है। सरिता कभी गाना गाती थी, मगर अब गाने की बात आते ही उसकी तबीयत बिगड़ जाती है। इसके पीछे एक घटना है, जो कहानी में सस्पेंस की छौंक लगाने में मदद करती है। इस घटना के फ्लैशेज़ बीच-बीच में आते रहते हैं।

पति-पत्नी की इस कहानी में पहला ट्विस्ट तब आता है, जब एक रात सरिता की किचेन की नाली जाम हो जाती है। जाली खोलने पर गंदे पानी के साथ प्लास्टिक में लिपटी पांच सौ और हज़ार के नोटों की गड्डियां बाहर आने लगती हैं। सरिता इसे मां लक्ष्मी की कृपा मानकर रख लेती है। यह सिलसिला हर रात चलता है। सरिता किसी के कोई ज़िक्र नहीं करती और इन पैसों को अपने पति का कर्ज़ चुकाने में ख़र्च करती है। अपना जीवन-स्तर सुधारती है।

फिर अचानक नोटबंदी का एलान हो जाता है और पांच सौ और हज़ार के पुराने नोट बंद हो जाते है। यह ‘चोक्ड’ का दूसरा टर्निंग प्वाइंट है। इसके बाद सरिता की ज़िंदगी कैसे बदलती है? वो पैसों का क्या करती है? नाली में प्लास्टिक में रोल बनाकर नोटों की गड्डियां कौन डालता है? ऐसे ही सवालों के साथ कहानी आगे बढ़ती है।
1 घंटे 54 मिनट की फिल्म में कसी कहानी, नोटबंदी के बाद की आम जिंदगी में आने वाली परेशानियों पर गहरी निगाह रख अच्छा निर्देशन करने वाले अनुराग कश्यप, सैयमी खेर की बोलती आंखें और रोल के अनुसार सटीक एक्सप्रेशन, रोशन मैथ्यू का मिलाजुला काम, सहकलाकार के रूप में राजश्री देशपांडे और अमृता सुभाष की देखने लायक एक्टिंग ने चोक्ड को वाकई देखने लायक बना दिया है।

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चूंकि चोक्ड पहली ऐसी फिल्म है जो नोटबंदी के बैंकग्राउंड पर बेस्ड है, ऐसे में आलोचना भी होगी और लोग ये भी कहेंगे कि अनुराग नोटबंदी की परेशानियों को पूरी तरह और ईमानदारी से दिखा नहीं पाए. ऐसा लगेगा, बिल्कुल लगेगा, क्योंकि दर्शकों की पसंद का पैमाना और जजमेंट करने का तरीका भी तो यही है। खामियां तो हैं और वो दिखेंगी भी लेकिन कुल मिलाकर चोक्ड देखने लायक है। इसलिए नेटफिलिक्स पर इसके आते ही तहलका मच गया। लोग तरह-तरह के रिएक्शन देने लगे।

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