भारत से चीन को गैर-बासमती चावल का निर्यात करने के लिए पांच नई चावल मिलों को अनुमति दी गई है। अब इनको मिलाकर निर्यात करने वाले चावल मिलों की कुल संख्या 24 हो गई है। चीन को गैर-बासमती चावल के निर्यात की पहली खैप इस वर्ष सितम्बर में नागपुर से भेजी गई थी।इस वर्ष मई में चीन के अधिकारियों ने गैर-बासमती चावल का निर्यात करने में सक्षम चावल मिलों का निरीक्षण किया था। साथ ही चीन को निर्यात करने के लिए 19 चावल मिलों तथा प्रसंस्करण इकाइयों का पंजीकरण किया था।
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इस साल जून में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की चीन यात्रा के दौरान भारत से चीन को चावल के निर्यात के बारे में चीन के सामान्य सीमा शुल्क प्रशासन और भारत के पादप स्वच्छता संबंधी कृषि विभाग के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए थे। 2006 में भारत से चावल की गैर-बासमती प्रजातियों का निर्यात शामिल करने के लिए पादप स्वच्छता अपेक्षाओं से संबंधित समझौते में संशोधन किया गया था।
आपको बता दें कि चीन दुनिया में चावल का सबसे बड़ा उत्पादक और आयातक है। वह हर वर्ष पांच मीट्रिक टन से अधिक चावल खरीदता है। कुछ वर्षों में भारत से चीन को एक मीट्रिक टन चावल के निर्यात की संभावना है। भारत का कुल चावल निर्यात पिछले वर्ष बढ़कर 12.7 मीट्रिक टन पर पहुंच गया है। जो इससे पहले 10.8 मीट्रिक टन था। इससे भारत चावल के वैश्विक व्यापार में शीर्ष स्थान बना रहा है।भारत चीन को चावल और चीनी जैसे कृषि उत्पादों का निर्यात करने का इच्छुक है। ताकि व्यापार घाटे में कमी लाई जा सके।