नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च सदन में सभापति के तौर अपनी नई पारी की बतौर उपराष्ट्रपति शुरूआत करते हुए वेंकैया नायडू जब आये तो हर किसी ने उनको धन्यावाद ज्ञापित करते हुए बधाई दी। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद विपक्ष की तरफ से गुलाम नबी आजाद ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस मौके पर विपक्ष की ओर से आजाद ने सभापति बने नायडू को कुछ नसीहतें भी दे डालीं। जहां प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में गरीबों का जिक्र किया था। वहीं आजाद ने कहा कि देश को आजाद कराने के लिए अमीरों और करोड़पतियों ने भी योगदान दिया है। इसे भी हमें याद रखना चाहिए।
आजाद ने कहा कि महात्मा गांधी भी एक समृद्ध परिवार से थे। इसीलिए वो वकालत की पढ़ाई करने लंदन गये और अपनी प्रैक्टिस करने के लिए अफ्रीका गये। उन्होने देश को आजाद कराने के लिए अपने वस्त्रों का त्याग तक कर दिया। इसमें अमीरी और गरीबी का सवाल नहीं सवाल है लोकतंत्र की ताकत का क्योंकि इन्हीं लोगों के अभूतपूर्व बलिदान के चलते देश आजाद हुआ और हमारा ऐसा संविधान बना जिससे किसी जाति वर्ग का कोई भी उच्च पदों पर बैठ सकता है।
सदन में विपक्ष की नुमांइदगी करते हुए आजाद ने कहा कि जिस कुर्सी पर सभापति महोदय बैठे हैं उसके पीछे तराजू है जो कि बार-बार याद दिलाता है कि यह कुर्सी निष्पक्ष न्याय करने के लिए बनी है। भले ही इस पर बैठा व्यक्ति किसी भी दल का रहा हो। इस पद पर आकर वह इंसान केवल इंसान को ही पहचानता है ना कि दल जाति वर्ग को, ये जगह ऊपर वाले ने आपको दी है। हम सभी आपकी लम्बी उम्र की कामना करते हैं। हम सदन में नेता परंपराओं को इसलिए याद दिलाते हैं जिससे आगे भी ये परंपराएं कायम रहें।