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होटल में तय हो सकती है खाने की लिमिट, जानिए सरकार का नया प्लान

food 3 होटल में तय हो सकती है खाने की लिमिट, जानिए सरकार का नया प्लान

नई दिल्ली। भोजन की बर्बादी को लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने कार्यक्रम ‘मन की बात’ में चिंता जाहिर कर चुके हैं। इसी क्रम को आगे बढ़ाते हुए अब केंद्र सरकार जल्द ही होटल और रेस्टोरेंट में खाने की लिमिट तय कर सकती है।

food 3 होटल में तय हो सकती है खाने की लिमिट, जानिए सरकार का नया प्लान

एक अंग्रेजी अखबार की रिपोर्ट के अनुसार उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान का मानना है कि यदि कोई इंसान दो इडली खाना चाहता है तो उसे 4 क्यों परोसी जाएं उनका कहना है कि यह भोजन के साथ-साथ आम नागरिक के पैसों की भी बर्बादी है।

माना जा रहा है कि इस मामले को लेकर मंत्रालय जल्द ही होटलों से राय मांगने वाला है। हालांकि मंत्रालय ने ये साफ कर दिया है कि ये नए नियम कुछ खास स्टैंडर्ड होटल और रेस्टोरेंट पर ही लागू होंगे न कि ढाबों पर।

बता दें कि बोजन की बर्बादी भारत में एक गंभीर समस्या है। एक सर्वे के अनुसार 2013-14 में इसके चलते Rs. 74734.37 करोड़ का घाटा हुआ था। अगर सरकार ये कदम उठाती है तो ये करोड़ों का घाटा रोका जा सकता है इसके साथ ही कई गरीबों को भोजन मुहैया भी कराया जा सकता है।

पीएम मोदी ने ‘मन की बात’ में ये कहा था:-

“जब से मैं ‘मन की बात’ कार्यक्रम को कर रहा हूँ, प्रारंभ से ही एक बात पर कई सुझाव मुझे मिलते रहे हैं और वो ज़्यादातर लोगों ने चिंता जताई है food wastage के संबंध में। हम जानते हैं कि हम परिवार में भी और सामूहिक भोजन समारोह में भी ज़रूरत से ज़्यादा plate में ले लेते हैं। जितनी चीज़ें दिखाई दे, सब सारी की सारी plate में भर देते हैं और फिर खा नहीं पाते हैं। जितना plate में भरते हैं, उससे आधा भी पेट में नहीं भरते हैं और फिर वहीं छोड़ कर निकल जाते हैं।

narendra modi 7 होटल में तय हो सकती है खाने की लिमिट, जानिए सरकार का नया प्लान

आपने कभी सोचा है कि हम जो ये जूठन छोड़ देते हैं, उससे हम कितनी बर्बादी करते हैं; क्या कभी सोचा है कि अगर जूठन न छोड़ें, तो ये कितने ग़रीबों का पेट भर सकता है। ये विषय ऐसा नहीं है कि जो समझाना पड़े। वैसे हमारे परिवार में छोटे बालकों को जब माँ परोसती है, तो कहती है कि बेटा, जितना खा सकते हो, उतना ही लो। कुछ-न-कुछ तो प्रयास होता रहता है, लेकिन फिर भी इस विषय पर उदासीनता एक समाजद्रोह है, ग़रीबों के साथ अन्याय है। दूसरा, अगर बचत होगी, तो परिवार का भी तो आर्थिक लाभ है। समाज के लिये सोचें, अच्छी बात है, लेकिन ये विषय ऐसा है कि परिवार का भी लाभ है। मैं इस विषय पर ज़्यादा आग्रह नहीं कर रहा हूँ, लेकिन मैं चाहूँगा कि ये जागरूकता बढ़नी चाहिए।“

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