बेंगलुरु। जहां एक ओर पूरी दुनिया नए साल के जश्न में डूबी हुई थी वहीं बेंगलुरु की सड़कों पर बेइज्जती का खुला खेल खेला जा रहा था और उस छेड़छाड़ के प्रत्यक्षदर्शी बने कानून व्यवस्था को बनाए रखने वाले हमारे देश के सिपाही। अब सवाल ये उठता है कि अगर पुलिस वालों के सामने आबरु को तार-तार करने कार्यक्रम रचा जा रहा था तो उन्होंने कुछ क्यों नहीं किया? उनकी मौजूदगी में मनचलों की इतनी हिम्मत कैसे बढ़ गई? आखिर उन्होंने सख्त कदम क्यों नहीं उठाए? बरहाल, सवाल तो कई है लेकिन जवाब शायद एक भी नहीं।
दरअसल, बेंगलुरु का एमजी रोड और ब्रिगेड रोड काफी फेमस जगह है और नए साल के मौके पर यहां पर हजारों की संख्या में लोग जुटते है और नए साल का आगाज खुशी और जोश से करते है। इस साल भी हमेशा की तरह इसी रोड पर उतनी ही भीड़ थी लेकिन जब इस शाम की तस्वीरें सामने आई तो तस्वीरें किसी जश्न की नहीं बल्कि रोती-बिलकती लड़कियों की थी। खबरों की मानें तो उस रात इन सड़कों पर कुछ हुड़दंगियों ने लड़कियों के साथ बदसलूकी की और अश्लील कमेंट भी किए लेकिन उनकी मदद करने वाला वहां पर कोई नहीं था।
लेकिन हद तो तब हो गई जब राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने इस पूरे मामले पर युवाओं के रहन-सहन के पश्चिमी तौर तरीकों को जिम्मेदार बताकर एक बड़ा बखेड़ा खड़ा कर दिया। मंत्री के इस बयान के बाद राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ललिता कुमारमंगलम ने पुलिस की कड़ी आलोचना की और गृह मंत्री के इस्तीफे की मांग की। इसके साथ ही राष्ट्रीय महिला आयोग और कर्नाटक राज्य महिला आयोग ने भी घटना को लेकर पुलिस और प्रशासन से अलग-अलग रिपोर्ट मांगी है।
वहीं पार्टी में मौजूद लोगों का कहना है कि 31 दिसंबर की रात को भीड़ को काबू करने के लिए 1500 पुलिसकर्मी तैनात थे लेकिन फिर भी महिलाओं के साछ छेड़खानी और अश्लील कमेंट किए गए।