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भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़े किस्से, आइए जानें

पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की पुण्यतिथि आज, PM,CM सहित इन नेताओं ने दी विन्रम श्रद्धांजलि

आज भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 97वीं जयंती मना रहा है। वह तीन बार 16 मई से 1 जून 1996 तक, तथा फिर 1998 मे और फिर 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।

इसके अलावा हिंदी कवि, पत्रकार और प्रखर वक्ता भी थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने साल 1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था। वह जनसंघ के संस्थापकों में से एक थे और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लंबे समय तक राष्‍ट्रधर्म, पाञ्चजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन भी किया।

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म आज के ही दिन यानी 25 दिसंबर 1924 को जन्म हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी थे। अटल उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के मूल निवासी थे. हालांकि उन्होंने अपनी शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज से ली जिसे अब लक्ष्मीबाई कॉलेज के नाम से जाना जाता है। पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी मध्य प्रदेश की ग्वालियर रियासत में अध्यापक थे।

बता दें कि उनका राजनीतिक करियर भी किसी रोलर कोस्टर से कम नहीं रहा है। तीन बार पीएम का पद संभालने वाले अटल सबसे पहले साल 1996 में पीएम के पद पर काबीज हुए, लेकिन संख्याबल नहीं होने के कारण यह सरकार महज 13 दिनों में गिर गई। इसके बाद उन्होंने साल 1998 में पीएम पद संभाला लेकिन एक बार फिर 13 दिन बाद ही उनकी सरकार गिर गई। इसके बाद उन्होंने साल 1999 में इस पद को एक बार फिर संभाला। उस वक्त 13 दलों की गठबंधन सरकार और वाजपेयी अपने कार्यकाल के पांच साल पूरा करने में सफल रहें।

टीवी बंद कर दिया तो नाराज हो गए
अटल जब नौ साल बीमार रहे और शरीर लकवाग्रस्त हो गया था तो वे अक्सर टीवी देखा करते थे। 2014 में हुए कुछ चुनाव नतीजे भी उन्होंने टीवी पर देखे। वे बोलते नहीं थे, लेकिन उनके चेहरे पर आ रहे हाव-भाव खबरों को लेकर उनकी रिएक्शन बता देते थे। परिवार के सदस्य और सहयोगी उन्हें अखबार पढ़कर सुनाते थे।
एक बार टीवी पर सदन की कार्यवाही का प्रसारण हो रहा था, तभी किसी ने टीवी बंद कर दिया तो अटलजी बच्चों की तरह गुस्सा हो गए। बाद में जब दोबारा टीवी चालू किया गया तो उनके चेहरे पर मुस्कराहट आ गई। जब पुरानी फिल्में टीवी पर आ रही होती थीं तो वो मौन होकर देखा करते थे।

पैदल संसद जाते थे
लालकृष्ण आडवाणी ने एक बार दैनिक भास्कर को 1957 का किस्सा बताया था। तब अटलजी पहली बार सांसद बने थे। भाजपा नेता जगदीश प्रसाद माथुर और अटलजी दोनों एक साथ चांदनी चौक में रहते थे। पैदल ही संसद जाते-आते थे।
छह महीने बाद अटलजी ने रिक्शे से चलने को कहा तो माथुरजी को आश्चर्य हुआ। उस दिन उन्हें बतौर सांसद छह महीने की तनख्वाह एक साथ मिली थी। माथुरजी के शब्दों में यही हमारी ऐश थी।

आडवाणी के मन में कॉम्प्लेक्स था
1951 में भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई। 1953 में इसका पहला राष्ट्रीय अधिवेशन था। आडवाणी बताते हैं कि एक डेलीगेट होने के नाते मैं राजस्थान से आया था, तब पहली बार अटलजी को देखा और सुना। वे एक बार राजस्थान आए। पार्टी ने मुझे उनके साथ रहने के निर्देश दिए थे।
उनकी ऐसी छाप मेरे मन पर पड़ी कि मैं जीवन भर उस अनुभव को नहीं भूल पाया, क्योंकि उन्होंने मेरे मन में कॉम्प्लेक्स पैदा कर दिया कि मैं नहीं चल पाऊंगा। इस पार्टी में, क्योंकि जहां इतना योग्य नेतृत्व हो, वहां मेरे जैसा व्यक्ति जो एक कैथोलिक स्कूल में पढ़कर आया हो, जिसे हिंदी बहुत ही कम आती हो, वो कैसे काम करेगा?

चुनाव हारकर फिल्म देखने चले गए थे
आडवाणी के मुताबिक, दिल्ली में नयाबांस का उपचुनाव था। हमने बड़ी मेहनत की, लेकिन हम हार गए। हम दोनों खिन्न थे। दुखी थे। अटलजी ने मुझसे कहा कि चलो, कहीं सिनेमा देख आएं। अजमेरी गेट में हमारा कार्यालय था और पास ही पहाड़गंज में थिएटर। नहीं मालूम था कि कौन-सी फिल्म लगी है। पहुंचकर देखा तो राज कपूर की फिल्म थी- ‘फिर सुबह होगी’। मैंने अटलजी से कहा, ‘आज हम हारे हैं, लेकिन आप देखिएगा सुबह जरूर होगी।’ हम अक्सर तांगे से अजमेरी गेट से झंडेवालान तक खाना खाने जाते थे।

जब अटल को उनसे पूछे बिना पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया
आडवाणी के मुताबिक, मैंने 1995 में मुंबई की सभा में यह घोषणा कर दी कि मुझे भरोसा है कि अगले साल होने वाले चुनाव में हमारी पार्टी विजयी होगी और तब हमारे प्रधानमंत्री वाजपेयी होंगे। वे मंच पर बैठे थे। उन्होंने तुरंत कहा, ‘यह आपने क्या घोषणा कर दी।
मुझसे पूछा भी नहीं?’ मैंने कहा, ‘मैं पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते इतना अधिकार तो रखता हूं आप पर कि आपको पीएम पद का उम्मीदवार बना दूं।’

नवाज को फोन पर मिला था झटका
पाकिस्तानी पत्रकार नसीम जेहरा की किताब ‘फ्रॉम कारगिल टू द कॉप’ में अटलजी की ओर से नवाज शरीफ का भारत दौरा रद्द किए जाने का जिक्र है। इसमें लिखा है कि 1999 में शरीफ भारत आने वाले थे। उन्होंने फैक्स से गुडविल मैसेज भी भारत भेज दिया था। करीब रात 10 बजे आया अटलजी का जवाब तोप के गोले की तरह था।
उन्होंने लिखा था कि वे नवाज को भारत नहीं बुला रहे हैं, बल्कि पाकिस्तान से कारगिल में मौजूद सेना हटाने की मांग कर रहे हैं। ताकि दोनों पक्षों के बीच बातचीत की शुरुआत हो सके।

गोपनीयता से किया परमाणु शक्ति परीक्षण
अटल सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति संपन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया।
यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों व तकनीक से संपन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊंचाईयों को छुआ।

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