featured शख्सियत

आज भी भगत सिंह हर भारतीय के दिल में बसते हैं

bhagat singh आज भी भगत सिंह हर भारतीय के दिल में बसते हैं

स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह की जयंती के मौके पर आज  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनके साहसिक बलिदान ने लोगों में देशभक्ति की चिंगारी भड़काई और वो आज भी हर भारतीय के दिल में बसते हैं।

भगत सिंह सिर्फ 23 साल के थे जब 1931 में उनको फांसी हुई थी। आपोक बता भगत सिंह के आदर्शों और बलिदान ने उन्हें जन नायक और कई लोगों की प्रेरणा बना दिया। साथ ही  मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘वीर भगत सिंह हर भारतीय के दिल में बसते हैं, उनके साहसिक बलिदान ने अनगिनत लोगों में देशभक्ति की चिंगारी भड़काई. मैं उनकी जयंती पर उन्हें नमन करता हूं और उनके महान आदर्शों को याद करता हूं।

 

 28 सितंबर 1907 में हुआ भगत सिंह का जन्म 

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 में हुआ और 23 मार्च 1931 को भगत सिंह  हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गये। उनमें अलग का साहस था, जिसने अंग्रेजी हुकूमत को झकझोर देने का काम किया।  वो कहते थे, “राख का हर एक कण, मेरी गर्मी से गतिमान है. मैं एक ऐसा पागल हूं, जो जेल में भी आजाद है।

बता दें कि भगत सिंह का जन्म पाकिस्तान के एक सिख परिवार में हुआ था, भगत सिंह के जन्म के समय उनके पिता किशन सिंह जेल में थे। वहीं उनके चाचा अजीत सिंह भी अंग्रेजी सरकार का मुकाबला कर रहे थे।

आजाद हिंद फौज की स्थापना

बता दें कि भगत सिंह के चाचा पर अंग्रेजो ने 22 केस दर्ज किए थे। और इसकी वजह से उनको ईरान जाकर रहना पड़ा, वहां जाकर उन्होंने आजाद हिंद फौज की स्थापना की और क्रांति की जोत जलायी।

प्राणनाथ मेहता ने दी जेल में किताब 

 भगत सिंह  किताबें पढ़ने का काफी  शौक रखते थे, उन्होंने अपने आखिरी समय में ‘रिवॉल्युशनरी लेनिन’ नाम की एक किताब मंगवाई थी। कहा जाता है कि उनके वकील प्राणनाथ मेहता जेल में उनसे मिलने पहुंचे। और उस दौरान उन्होंने भगत सिंह को वो किताब दी।

 सिर्फ़ दो संदेश है साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और ‘इंक़लाब ज़िदाबाद

इसके बाद मेहता ने पूछा आप देश को क्या संदेश  देना चाहेंगे तब भगत सिंह ने कहा, ”सिर्फ़ दो संदेश है साम्राज्यवाद मुर्दाबाद और ‘इंक़लाब ज़िदाबाद.” थोड़ी देर बाद भगत सिंह समेत राजगुरु और सुखदेव को फांसी देने के लिए जेल की कोठरी से बाहर लाया गया। और मां भारती को प्रणाम करते हे फांसी के  फंदे को गले लगा लिया ।

13 अप्रैल 1919 को बैसाखी वाले दिन रौलट एक्ट के विरोध में देशवासियों की जलियांवाला बाग में एक सभा रखी गयी।  इस बात से अंग्रेजी सरकार नाराज हो गयी।

और जनरल डायर ने आदेश दिया और अंग्रेजी सैनिकों ने ताबड़बतोड़ गोलियों की बारिश कर दी।  12 साल के भगत सिंह पर इस सामुहिक हत्याकांड का गहरा असर पड़ा।

नौजवान भारत सभा’ की स्थापना

उन्होंने जलियांवाला बाग के रक्त रंजित धरती की कसम खाई कि अंग्रेजी सरकार के खिलाफ वो जरुर खड़े होगें, और उन्होंने लाहौर नेशनल कॉलेज की पढ़ाई छोड़कर ‘नौजवान भारत सभा’ की स्थापना की।

Related posts

अजान को लेकर राज ठाकरे का बयान, लाउडस्पीकर की क्या जरूरत है

Rani Naqvi

सीबीआई ने मणिपुर में हुए ‘फर्जी मुठभेड़’ मामले में सेना के मेजर विजय सिंह बलहारा और सात अन्य के खिलाफ हत्या का दर्ज किया मामला

rituraj

छुट्टी के दौरान भी नहीं काटा जाएगा वेतन, दी जाएंगी स्पेशल लीव

Shubham Gupta