फतेहपुर: प्रदेश सरकार और न्यायालय लगातार प्रदूषण को कम करने और खत्म करने के लिए काम कर रही हैं, लेकिन जिले में ही ऐसी तमाम जगहें हैं जहां पर खुलेआम प्रदूषण फैलाया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि जिला प्रशासन भी कभी इस ओर ध्यान नहीं दे पाया है। जहां बाइक चलाने के लिए भी प्रदूषण सर्टिफिकेट की जरूरत होती है तो वहीं, बिना सर्टिफिकेट के ही जिले भर में जनरेटर धड़धड़ा रहे हैं।
जिले में क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय की यह सबसे बड़ी चूक है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल जहां कार्बनडाई ऑक्साइड, सल्फर जैसे जहरीले तत्वों के उत्सर्जन में प्रतिबंध लगा रहा है तो वहीं, प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय पर इसका कोई असर नहीं है। गौरतलब है कि यदि बाइक का प्रदूषण प्रमाण पत्र न हो तो 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। लेकिन 10-10 फिट के जनरेटर तमाम प्रकार से प्रदूषण फेंक रहे हैं, उनपर कोई जुर्माना नहीं है।
यहां चलते हैं प्रतिदिन जनरेटर
जुर्माने की तो बात छोड़िए उनके पास जनरेटर चलाने के लिए प्रदूषण सर्टिफिकेट है या नहीं यह भी पूछने वाला कोई नहीं है। यही कारण है कि बैंक, नर्सिंग होम, अस्पताल, मोबाइल टॉवर, मैरिज होम, होटल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स सहित कई ऐसी जगहें हैं, जहां पर प्रतिदिन हैवी जनरेटर धड़धड़ाते रहते हैं। छोटे-मोटे दुकानों को भी जोड़ लिया जाए तो जिले भर में इनकी संख्या करीब पांच हजार के आसपास होगी। शहर से लेकर दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों में भी इनका प्रयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है।
बीमार कर रखे जनरेटर
जिले भर में अधिकतर जनरेटर मुख्य मार्ग की ओर रखे गए हैं। जिससे इनसे निकलने वाला प्रदूषण आने-जाने वाले लोगों को सीधा प्रभावित करता है। इससे लोगों को फेफड़े से संबंधित तमाम बीमारियां हो सकती हैं। बड़े-बड़े जनरेटरों की आवाज भले ही साइलेंट हो, लेकिन प्रदूषण के मामले में यह साइलेंट किलर का काम कर रहे हैं।
“जिले भर में जनरेटर से हो रहा प्रदूषण बड़ी चिंता का विषय है। यह बात आपके जरिये पता चली है। जल्द ही इस पर प्रभावशाली कार्रवाई होगी। किसी को भी किसी के जीवन से खिलवाड़ करने का कोई अधिकार नहीं है। हमारा उद्देश्य ही सभी को स्वस्थ और बेहतर वातावरण देना है।”
अपूर्वा दुबे, जिलाधिकारी, फतेहपुर