- जलकल और नगर निगम की टीम ने कराई पानी के नमूनों की जांच
- पीने का पानी स्वच्छ, डरने की जरूरत नहीं
लखनऊ। कोरोना की दूसरी लहर का कहर अभी पूरी तरह थमा नहीं है कि पानी में वायरस की पुष्टि होने के बाद हड़कंप मच गया है। गौरतलब है कि लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई के माइक्रोबॉयोलॉजी विभाग की टीम ने लखनऊ के खदरा समेत कई इलाकों के सीवेज के पानी के सैंपल लिए थे। जिसमें जांच के बाद कोरोना वायरस के सक्रिय होने की पुष्टि हुई थी। उसके बाद से ही लोगों के बीच दहशत की स्थिति बनी हुई है।
लेकिन, इस बीच लखनऊ के जलकल विभाग ने दावा किया है कि शहर के पीने का पानी पूरी तरह सुरक्षित है। उसमें किसी भी प्रकार के डरने की जरूरत नहीं है। जलकल विभाग ने पानी के सैंपलों की जांच कराने के बाद यह दावा किया है। जलकल विभाग के इस दावे के बाद लखनऊ की करीब 35 लाख की आबादी को राहत मिलेगी।
जलकल विभाग के अनुसार नगर निगम ने सीवर के पानी में कोरोना वायरस की खबर पर 97 स्थानों पर सप्लाई के पानी की जांच कराई। सभी सैम्पल दुरुस्त पाए गए। अब इसकी और बारीक जांच कराई जाएगी। इसके लिए पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में सैम्पल भेजे जाएंगे।
सीवेज में कोरोना संक्रमण की खबरें प्रकाशित होते ही जलकल व नगर निगम सक्रिय हो गए। दोनों विभाग की संयुक्त टीमें शहर के मछली मोहाल बसीर काम्प्लेक्स, केजीएम दूध डेरी, पानी की टंकी खदरा, राम लीला मैदान खदरा, केशव नगर फैजुल्लागंज, शिवलोक त्रिवेणी नगर, शिव नगर पानी की टैंक परिसर सहित 97 स्थानों से सैम्पल एकत्र किए।
उन्हें जांच के लिए अलीगंज स्थित राज्य स्वास्थ्य संस्थान भेजा गया। वहां किसी भी सैम्पल में किसी प्रकार का वायरस नहीं पाया गया। घरों में हो रही आपूर्ति शुद्ध व स्वच्छ है। रिपोर्ट आने के बाद जलकल व नगर निगम के अधिकारियों ने राहत की सांस ली।
नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि संतुष्टि के लिए सप्लाई के पानी की बारीक जांच कराई जाएगी। इसके लिए पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग को सैम्पल भेजे जाएंगे।
जांच के बाद हो रही जलापूर्ति
नगर आयुक्त ने बताया कि पीने के पानी की आपूर्ति भी तीनों जलकल ऐशबाग, बालागंज व कठौता से शोधित करके की जा रही है। आपूर्ति से पहले पानी की गुणवत्ता की जांच होती है। पानी स्वच्छ व शुद्ध होने पर ही आपूर्ति प्रारम्भ होती है। साथ ही स्वास्थ्य विभाग व जलकल की संयुक्त टीम समय-समय पर पानी के नमूनों की जांच भी करती है।
उन्होंने कहा कि हालांकि सीवर लाइनों का डिस्पोजल विभिन्न सीवेज पम्पिंग स्टेशनों पर कराया जाता हैं। यहां से भरवारा व दौलतगंज एसटीपी पर पम्प करके पहुंचाया जाता है। सीवेज वाटर शोधित होने के बाद ही नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। किसी भी सीवर लाइन का डिस्पोजल सीधे नदी में नहीं हो रहा है।