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बदलाव : अब इन बीमारियों से हैं ग्रसित, तो नहीं मिलेगा होम आइसोलेशन

मरीज बदलाव : अब इन बीमारियों से हैं ग्रसित, तो नहीं मिलेगा होम आइसोलेशन

लखनऊ। कोरोना मरीजों को होम आइसोलेशन में रहने के लिए थोड़ा सा परिवर्तन किया गया है। कोरोना के बदलते स्वरूप को देखते हुए अगर आपको खांसी-जुकाम और सांस लेने में तकलीफ है तो होम आइसोलेशन में रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी। लखनऊ के डीएम ने यह सूचना दी है।

होम आइसोलेशन में पहले गंभीर बीमारियों के मरीजों को नहीं रखा जाता था। मसलन, टीबी के मरीजों, अस्थमा के रोगियों, डायबिटीज, रक्तचाप आदि के मरीजों को होम आइसोलेशन की अनुमति नहीं दी जाती थी।

इस बीच कोरोना की दूसरी लहर का वायरस लगातार अपनी गतिविधियां बदल रहा है। अगर किसी को थोड़ी सी भी सांस आदि की समस्या है तो वे मरीज गंभीर स्थिति में पहुंच जा रहे हैं। इसको देखते हुए लखनऊ के जिलाधिकारी ने कहा है कि अब खांसी-जुकाम और सांस के रोगियों को किसी भी शर्त पर होम आइसोलेशन में नहीं रखा जाएगा।

उन्होंने कहा किया ऐसा देखा गया है कि इन दिक्कतों वाले कोरोना मरीजों की स्थिति काफी बिगड़ जाती है। ऐसे में अब रिस्क नहीं लिया जा सकता है। डीएम ने कहा है कि आईएलआई-एसआरआई यानी खांसी-जुकाम, बुखार और सांस के रोगियों का एंटीजन और आरटीपीसीआर दोनों जांच कराई जाए।

जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि ऐसे रोगियों की पहचान करने का लक्ष्य स्वास्थ्य विभाग को दिया गया है, जिसे बढ़ाकर चार गुना कर दिया गया है। इसके अलावा होम आइसोलेशन के कितने मरीज अस्पताल पहुंचाए गए और कितनों ने होम आइसोलेशन की अवधि को पूरा किया है, इसका पूरा डाटा रोज स्वास्थ्य विभाग को भेजे जाने का निर्देश दिया गया है।

डीएम ने अस्पतालों के लिए डेथ ऑडिट अनिवार्य बैठक भी की। जिसमें कहा कि डेथ ऑडिट यानी कोरोना मरीज की मौत किस कारण से हुई है। यह बेहद आवश्यक है। यदि किसी भी मरीज की मौत के मामले में अस्पताल की लापरवाही सामने आती है तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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