featured देश धर्म भारत खबर विशेष

देशभर में मनाई जा रही रामनवमी, ओरछा की रामनवमी कुछ खास

ram देशभर में मनाई जा रही रामनवमी, ओरछा की रामनवमी कुछ खास

आज रामनवमी का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। हालांकि कोरोना काल होने की वजह से मंदिरों में भीड़ नहीं है।

orcha देशभर में मनाई जा रही रामनवमी, ओरछा की रामनवमी कुछ खास

लोग घरों पर रहकर ही भगवान राम की पूजा कर रहे हैं। तो चलिए आपको बताते हैं आज राम जी के एक प्रसिद्ध मंदिर के बारे में।

राजा के तौर पर विराजे हैं भगवान राम

अयोध्या के प्रसिद्ध राम मंदिर के अलावा भी देशभर में कई राम मंदिर हैं जिनकी अपनी अलग कथा है। उनमें से एक है मध्य प्रदेश के ओरछा जिले में राजा राम मंदिर है। मान्यता है कि यहां राम भगवान के तौर पर नहीं बल्कि राजा के तौर पर विराजे हैं।

कहते हैं कि ये दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान राम को भगवान के रूप में नहीं बल्कि राजा के रूप में पूजा जाता है।

राजा राम को गार्ड ऑफ ऑनर देने की है परंपरा

बता दें यहां दिन में पांच बार पुलिस द्वारा गार्ड और ऑनर भी दिया जाता है। जानकर हैरानी होगी कि राजा राम को गार्ड ऑफ ऑनर देने की ये परंपरा 400 साल पुरानी है।

बताया जाता है कि यहां श्रद्धालु श्री राम की प्रतिमा की आंख से आंख नहीं मिलाते। बल्कि उनके चरणों के ही दर्शन करते हैं। वहीं प्रसाद के तौर पर भोग के साथ पान का बीड़ा, इत्र की बाती दी जाती है।
ओरछा वाले राजा राम की कहानी

ये है राजा राम की कहानी

दरअसल कहा जाता है कि ओरछा राजवंश के राजा मधुकर शाह श्रीकृष्ण के भक्त थे, और उनकी पत्नी कुंअर गणेश राम भक्त थीं। दोनों में इसको लेकर तर्क-वितर्क रहता था। वहीं एक दिन मधुकर शाह ने रानी को वृंदावन जाने को कहा तो रानी ने अयोध्या जाने की बात कही। इस पर राजा ने व्यंग्य में कहा कि अगर तुम्हारे राम सच में हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा लेकर आओ।

जिसपर कुंअर गणेश अयोध्या गईं और 21 दिन तक उन्होंने तप किया। लेकिन राम जी प्रकट नहीं हुए। जिस पर उन्हें निराशा हुई और वो सरयू नदी में कूद गईं। तभी उनकी गोद में राम जी आए तो कुंअर गणेश ने उनसे ओरछा चलने का आग्रह किया।

इस पर राम ने उनके सामने तीन शर्त रखीं। पहली की वो ओरछा में राजा के तौर पर विराजित होंगे। जहां एक बार बैठ जाएंगे तो फिर वहां से उठेंगे नहीं, और सिर्फ पुण्य नक्षत्र में पैदल चलकर ही ओरछा जाएंगे। रानी ने तीनों शर्तें मान लीं।

जिसके बाद कुंअर गणेश राम को लेकर जब अयोध्या से ओरछा पहुंची तो भव्य मंदिर का निर्माण चल रहा था। इस स्थिति में रानी ने राम जी को राजनिवास की रसोई में बैठा दिया। फिर वहां से राम जी अपनी शर्त के मुताबिक कभी उठे नहीं। फिर रसोई को ही मंदिर में बदल दिया गया। जहां राजा राम के तौर पर हैं।

यही कारण है कि कोई भी नेता, मंत्री या अधिकारी ओरछा की चाहरदीवारी क्षेत्र में जलती हुई बत्ती वाली गाड़ी से नहीं आते। और उन्हें सलामी भी नहीं दी जाती है। यहां सिर्फ रामजी को ही सलामी दी जाती है।

Related posts

शाहजहांपुरः पलक झपकते ही बाइक लेकर गायब हो जाता था ‘शक्तिमान’, पुलिस ने गैंग का किया पर्दाफाश

Shailendra Singh

सीएम योगी ने किया इमरजेंसी मेडिसिन और किडनी ट्रांसप्लाट सेंटर की शुरूआत

Neetu Rajbhar

मां वैष्णों देवी मंदिर में बढ़ते कोरोना मामलों का जिम्मेदार श्राइन बोर्ड?

Rozy Ali