13 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू हो चुकी है। नौ दिनों तक मां के नौ स्वरूपों की पूजा की जाएगी। जिसके बाद नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी का पूजन किया जाएगा। नवरात्रि में अष्टमी तिथि का बहुत महत्व होता है। नवरात्रि में पड़ने वाली दुर्गा अष्टमी को महाअष्टमी भी कहा जाता है। अष्टमी के अगले दिन नवमी तिथि पर नवरात्रि का समापन होता है। इस दिन मां आदिशक्ति भवानी के नौवें स्वरूप माता सिद्धिदात्री का पूजन और कन्या पूजन करने के पश्चात नवरात्रि के नौ दिनों के व्रत का पारण किया जाता है।
चैत्र नवरात्रि में पड़ने वाली नवमी बेहद खास होती है। इस दिन नवरात्रि समापन के साथ ही भगवान श्री राम का जन्मोत्सव भी मनाया जाता है इसलिए चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि को महानवमी और रामनवमी कहा जाता है। चलिए जानते हैं पंडित अक्षय कुमार से कि इस साल चैत्र नवरात्रि में कितनी तारीख को हैं, और क्या है शुभ मुहूर्त और कन्या पूजन विधि।
इस बार 20 अप्रैल को अष्टमी पड़ रही है और 21 अप्रैल को रामनवमी है। बता दें कि दोनों दिन कन्या पूजन के शुभ मुहूर्त बन रहे हैं…
अष्टमी और नवमी पूजन-
सोमवार 19 अप्रैल को सप्तमी तिथि मध्य रात्रि 12 बजकर 01 मिनट तक है। इसके बाद अष्टमी तिथि का प्रारंभ हो जाएगा, 21 अप्रैल को नवमी है। वहीं नवमी भी मध्यरात्रि 12 बजकर 35 मिनट तक है। इसलिए अष्टमी और नवमी दोनों ही दिन व्रत पारण और कन्या पूजन के लिए पर्याप्त मिल रहे हैं।
रामनवमी का पूजन दोपहर 12 बजे होता है। इसलिए इससे पहले देवी नवमी का पूजन कर लें। दरअसल पहले शक्ति अराधना होगी और फिर रामनवमी। नवरात्रि की अष्टमी को आठम या अठमी भी कहते हैं। नवरात्रि की अष्टमी को महाष्टमी या दुर्गाष्टमी कहते हैं जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण होती है। इस दिन माता के आठवें रूप महागौरी की पूजा और आराधना की जाती है। कलावती नाम की यह तिथि जया संज्ञक है।
मंगलवार की अष्टमी सिद्धिदा और बुधवार की मृत्युदा होती है। इसकी दिशा ईशान है। ईशान में शिव सहित सभी देवताओं का निवास है इसीलिए इस अष्टमी का महत्व अधिक है। यह तिथि परम कल्याणकारी, पवित्र, सुख को देने वाली और धर्म की वृद्धि करने वाली है। इस बार चैत्र नवरात्रि में महाष्टमी 20 अप्रैल 2021 मंगलवार को पड़ रही है। इसके दूसरे दिन रामनवमी रहेगी।
20 अप्रैल को अष्टमी तिथि पर बन रहे ये पूजा के शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:11 A.M से 04:55 A.M तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:42 A.M से 12:33 P.M तक।
विजय मुहूर्त- 02:17 P.M से 03:08 P.M तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:22 P.M से 06:46 P.M तक।
अमृत काल- 01:17 A.M से 02:58 A.M तक।
21 अप्रैल यानी रामनवमी के दिन बनने वाले शुभ मुहूर्त-
ब्रह्म मुहूर्त- 04:10 A.M से 04:54 A.M तक।
विजय मुहूर्त- 02:17 P.M से 03:09 P.M तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:22 P.M से 06:46 P.M तक।
रवि योग- 07:59 A.M से 05:39 A.M तक।
निशिता मुहूर्त- 11:45 P.M से 12:29 A.M तक।
इस बार मंगलवार को शुक्ल पक्ष में अष्टमी तिथि होने पर अग्नि का वास पृथ्वी पर रहेगा यह भी एक उत्तम योग बनता है|
पं अक्षय शर्मा, 9837378309