उत्तर प्रदेश में बीते साल बिकरू कांड में विकास दुबे उसके साथियों ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया था। इसके बाद इस पूरे मामले पर एसआईटी की जांच की जा रही थी। जिसमें आरोपियों के लाइसेंस नवीनीकरण की जांच को लेकर भी एसआईटी जांच में जुटी हुई।
जिसमें अभी यह खुलासा हो रहा है कि आरोपियों के कई अफसरों की मिलीभगत थी। जिसके चलते अपराधियों के शस्त्र लाइसेंसों का नवीनीकरण आसानी से होता चला गया। जिसके बाद इन अपराधियों के पास एक से एक खतरनाक हथियार उसके आधार पर मिलते रहे। हालांकि अपराधी व खाकी की मिली भगत को लेकर कि एसआईटी अपनी जांच में जुटी हुई है।
2 आईपीएस अधिकारी समेत 11 कर्मचारियों की मिलीभगत
बिकरु कांड में आरोपियों के लाइसेंस नवीनीकरण के मामले में एसआईटी की जांच में अपराधियों और खाकी की जुगलबंदी का एक और खुलासा हुआ है. दुर्दांत विकास दुबे और उसके अपराधी साथियों के शस्त्र लाइसेंस सत्यापन में 2 आईपीएस अधिकारी समेत 11 कर्मचारियों की मिलीभगत की बात सामने आ रही है. एसआईटी ने जांच में पाया कि हिस्ट्रीशीटर होने के बावजूद पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी उन्हें क्लीन चिट देते हुए उनके लाइसेंस को स्वीकृति देते रहे.
शासन ने दिए जांच के आदेश
एनकाउंटर में मारे जा चुके विकास दुबे और उसके साथियों के शस्त्र लाइसेंस को लेकर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत का राजफाश होने के बाद शासन ने 2 आईपीएस, 2 पीसीएस, 1 एडीएम, 3 एसीएम समेत 11 लोगों के खिलाफ प्रारंभिक जांच के आदेश दे दिए हैं.
कई लोग अब तक पाए गए दोषी
एसआईटी ने अपनी जांच में शस्त्र लाइसेंस के सत्यापन में हेड मोहर्रिर से लेकर तत्कालीन एसएसपी तक दोषी पाया है. एसआईटी के सूत्रों के अनुसार उन सभी अधिकारियों पर जांच की संस्तुति की गई है, जिन्होंने कुख्यात विकास दुबे और उसके करीबियों के शस्त्र लाइसेंस को जारी करने के दौरान सत्यापन ठीक से नहीं किया.
शस्त्र लाइसेंस के सत्यापन में लापरवाही बरतने वालों में शामिल तत्कालीन डीआईजी आनंद देव तिवारी, एडीएम सिटी विवेक श्रीवास्तव, एसीएम 6 हरीश चंद्र सिंह, रवि प्रकाश श्रीवास्तव, अभिषेक कुमार के साथ एसपी ग्रामीण रहे प्रद्युमन सिंह, एसपी क्राइम राजेश यादव, सीओ लाइन बीबीजीटीएस मूर्थी, प्रतिसार निरीक्षक द्वितीय जटाशंकर, हेड मुहर्रिर सतीश कुमार व चौबेपुर के थाना प्रभारी राकेश कुमार का नाम शामिल है.