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वैक्सीनेशन अभियान: जानें वैक्सीन की दूसरी डोज लेनी क्यों जरूरी है?

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नई दिल्ली। भारत में आज वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत हो चुकी है। पहले चरण में तीन करोड़ लोगों को वैक्सीन की पहली डोज दी जाएगी। इसके ठीक एक महिने बाद दूसरी वैक्सीन की दूसरी डोज दी जाएगी। आज प्रधानमंत्री ने टीकाकरण अभियान की शुरुआत करते हुए लोगों को वैक्सीन की दो डोज लेने को कहा है। पीएम ने कहा कोरोना वैक्सीन की दो डोज जरूरी हैं तभी टीका कारगर होगा। तो आइये जानते हैं वैक्सीन की दूसरी डोज क्यों जरूरी है और दूसरी डोज न लेने से क्या परेशनी हो सकती है।

 

तीन से चार हफ्तों के बीच बनती है एंटीबॉडी-
वायरोलॉजिस्ट्स कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज का सख्ती से पालन करने की सलाह दे रहे हैं। उनका कहना है कि वैक्सीन की पहली डोज शरीर में लॉन्चपैड के रूप में कार्य करती है और इम्यून रिस्पॉन्स को गति देती है जबकि दूसरी डोज इम्यून रिस्पॉन्स को वायरस के खिलाफ मजबूत बनाती है। वैक्सीन की पहली डोज इम्यूनोलॉजिकल इम्यूनोलॉजिकल रिस्पॉन्स बनाती है जिससे तीन से चार हफ्तों के बीच में बॉडी में न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी बनने लगती है।

 

वैक्सीन रिसर्चर प्रसाद कुलकर्णी के अनुसार, ‘वैक्सीन की पहली डोज निश्चित तौर पर कुछ समय के लिए वायरस पर काम करेगी लेकिन दूसरी डोज एंटीबॉडी को कई गुना बढ़ा देगी जिससे वायरस के खिलाफ लंबी इम्यूनिटी मिलेगी। इसका सीधा सा मतलब है कि वैक्सीन दो महीने में वायरस के खिलाफ पूरी तरह से सुरक्षा देगी।

 

ICMR के वरिष्ठ वैज्ञानिक रमन गंगाखेडकर ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘वैक्सीन की दूसरी डोज शरीर में एंटीबॉडी के साथ-साथ टी सेल्स (T cells) बढ़ाने का काम करेगी। इन टी सेल्स को किलर सेल्स भी कहा जाता है। ये वायरस पर इम्यून रिस्पॉन्स के साथ मिलकर काम करती हैं। इसके अलावा वैक्सीन की दूसरी डोज से दोहरी सुरक्षा मिलेगी।’

 

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