जयपुर। 2013 के विधान सभा चुनावों में राज्य में कांग्रेस की करारी हार के बाद राजनीति के पंडितों ने अशोक गहलोत के राजनैतिक भविष्य के अंधकार में खोया हुआ बता दिया था। लेकिन तीन साल के इस उतार चढ़ाव के दौरान आखिरकार कांग्रेस आलाकमान को गहलोत का ध्यान आता तो आलाकमान ने रहमोकरम करते हुए गहलोत को पंजाब चुनाव की स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष बना दिया।
आलाकमान के फैसले के बाद जहां गहलोत को दीवाली का गिफ्ट मिला है। वहीं उनके राजनीतिक विरोधियों को करारा झटका लगा है। जहां गहलोत को पद देने के बारे में कोई सोच भी नहीं रहा था। ऐसे हालात में सोनिया गांधी ने जब उन्होने पंजाब चुनाव की स्क्रीनिंग कमेटी का अध्यक्ष बना दिया तो गहलोत समर्थकों के चेहरे पर खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
हांलाकि आलाकमान के इस फैसले से गहलोत विरोधियों की उम्मीदों को एक झटका जरूर लगा है। जिन्होने गहलोत के राजनीतिक कैरियर पर ब्रेक लगने की बातें उड़ाई थी। ये फैसला गहलोत को राजनीति के अखाड़े में जीवनदान देने वाला होगा, साथ ही इस फैसले से पायलट के खेमे में जरूर खामोशी छाई है।वहीं दूसरी ओर इसे पायलय खेमे को बेलेंस करने की कवायद के तौर पर देखा जा रहा है।