भरतपुर से अनिल चौधरी की रिपोर्ट
भरतपुर। किसान आंदोलन संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक मनुदेव सिनसिनी ने सोमवार को देश भर में चल रहे किसान आंदोलन के बारे में भरतपुर राजवंश व पूर्व केबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के पुत्र अनिरुद्द सिंह पर साधा निशाना। उन्होंने किसान आंदोलन के बारे में अनिरुद्द सिंह पर सवाल दागते हुए पूछा कि आजादी से लेकर आज तक राजपरिवार ने किसानों के हित में कौनसा काम किया है? इसके साथ ही रालोद के प्रदेश युवा अध्यक्ष मनुदेव सिनसिनी ने सोशल मीडिया के माध्यम से राजवंश के अनिरूद्व सिंह से पूछा कि अगर किसी को यह लगता है कि किसान बिल पर मोदी सरकार सही है और वह किसान आंदोलन को नौटंकी बता रहा है तो वह भी सुन ले कि ऐसे आदमी से बड़ा धोखेबाज और नौटंकी बाज कोई नहीं। जिस पार्टी की ओर वह इशारा करके आंदोलन को बदनाम करने की कोशिश कर रहा है उसी पार्टी के आनन्द वह और उसके पापा ले रहे है।
भरतपुर के जनता के लिये आखिर राजपरिवार ने किया ही क्या है-
उन्होने राजवंश पर टिप्पणी करते हुये कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी राजपरिवार ने जनहित में 7 कार्य भी नही किये है। जबकि भरतपुर की जनता ने राजपरिवार के प्रति अपना स्नेह दिखाते हुये सदैव उनको सत्तारूढ़ किया लेकिन इसके बाद राजपरिवार के सदस्य भूल जाते हैं कि आज लोकतंत्र में जो सत्ता उनको मिली है वह जनता के आधीन है और जनता की सेवा करना जनप्रतिनिधि का प्रमुख दायित्व है। सफेदपोशी की ताज पहनने के बाद राजवंश के सदस्य अधिकांश अपनी जिम्मेदारी से विमुख होकर अन्य कार्यो में मशगुल होते नजर आते है। वही अपने चेहेतो को लाभ दिलाने के लिये उनकी राजनीति केवल थाने व चौकी तक सीमित होकर रह जाती है। राजपरिवार का परम धर्म अपनी जनता के प्रति रोटी, कपड़ा, और मकान मुहैया कराना है लेकिन वर्तमान में राजपरिवार के सदस्यों के सत्तारूढ़ होने के बाद भी भरतपुर की जनता रोजगार और किसान उन्नत खेती के लिये तरस रहा है। उन्होने राजवंश पर कटाक्ष करते हुये कहा कि जब राजस्थान में चुनाव की रणभेदी बजती है तो राजपरिवार अपनी मूँछो की दुहाई देता है और कहीं ना कहीं अपना प्रभुत्व स्थापित करने के लिये महलो से सफ़ेद साड़ी भी निकल आती है। जनता का इतना स्नेह मिलने के बाद भी इसे भरतपुर का दर्भाग्य ही कहेंगे की वर्तमान परिपेक्ष्य में आज विकास के पायदान पर राजस्थान के 33 जिलों में भरतपुर 28वें स्थान पर है।
अनिरूद्ध सिंह के अधिकार पर जताई अपत्ति-
उन्होने पूर्व केबिनेट मंत्री विश्वेन्द्र सिंह के बारे में कहा कि वह वर्तमान में जिन लोगों को अपना समझते है वह उनके स्वयं के साथ एक छलावा है जो एक आत्मधाती दस्ते के समान है और इसका खमियाजा उन्होने कई बार उठाया है। वही उन्होंने राजपरिवार पर किये गये अपने सवालिया हमले को साधते हुये कहा कि आज राजपरिवार कहीं ना कहीं केन्द्र में प्रधानमंत्री और राज्य में मुख्यमंत्री की भूमिका निभा रहा होता लेकिन दुर्भाग्यवश चाटूकारिता के चलते वह अपना ही नुकसान कर बैठता है और अनिरूद्ध सिंह इस गलती को दोहरा रहे है। मनुदेव सिनसिनी ने भरतपुर के युवराज अनिरुद्ध सिंह के व्यवहार को लेकर आपत्ति जताते हुए कहा भरतपुर की जनता उन्हें उचित उत्तराधिकारी नहीं मानती। चुनाव जीतने के बाद से उनके व्यवहार से जनता प्रताड़ित है।
कृषि बिल के फायदे बताए अनिरूद्ध-
मनुदेव ने अनिरूद्ध को चैलेन्ज देते हुए कहा कि कृषि कानून की तीन फायदे गिना दें, वह उन्हें दस नुकसान गिनाने और समझाने को तैयार हैं। दूसरी बात उन्होंने कही कि अनिरूद्ध देश विदेश में घुमते रहते हैं, वह यह बताने का कष्ठ करें कि किस देश में आजतक कृषि का निजीकरण सफल रहा है?।यूरोप और अमेरिका हर किसान को लाखों डॉलर की सब्सिडी देता है। तीसरा सवाल जब आजतक इन कानूनों की किसी ने माँग नहीं कि तो किसके इशारे पर केंद्र सरकार यह कानून लाई है? चौथा और महत्त्वपूर्ण सवाल सरकार कानून आते ही संशोधन के लिए तैयार है, तो इसका मतलब कानून बिना पढ़े और आनन फानन कोरोना काल में पूंजीपतियों के इशारे पर तो नहीं लाया गया?
अनिरूद्ध किसान आंदोलन की सही वजहों को समझना नहीं चाहते- मनुदेव
मनुदेव ने कहा अगर अनिरूद्ध सिंह इन चार सवालों का जवाब भी देंगे तो हम यह समझ पायेंगे कि उन्होंने कृषि कानूनों को पढ़ा होगा, हालाँकि उनकी भाषा से ऐसा प्रतीत नहीं होता। वह केवल एक पार्टी विशेष के प्रति प्रेम दिखाकर किसान आंदोलन की सही वजहों को समझना नहीं चाहते। वह यह भूल रहे हैं कि आज का किसान पढ़ा लिखा है और अपने भले बुरे को समझता है।अनिरूद्ध और विधायक विश्वेन्द्र सिंह इतने ट्वीट और सोशल मीडिया पर लिखते हैं कभी जनता के आंदोलन और मुद्दों पर क्यों नहीं लिखते? एक पार्टी विशेष से प्रेम के कारण जनता को भूल बैठा है राजपरिवार लेकिन थोड़ा सा वजन पड़ते ही राजपरिवार अपने अतीत की दुहाई देने लगता है। केवल अतीत से काम नहीं चलेगा वर्तमान में भी काम करना होगा। यही लोकतंत्र की ताकत है।