छत्तीसगढ़ में राजभवन और सरकार के बीच टकराव बढ़ता हुआ नजर आ रहा हैं। यहां करीब 3 महीने पहले कुलपति की नियुक्ति को लेकर राज्यपाल के अधिकार में कटौती से विवाद शुरू हुआ था। जो अब राजभवन के सचिव की पदस्थापना तक पहुंच गया हैं। सरकार ने बुधवार को राजभवन में नए सचिव की पदस्थापना का आदेश जारी किया।
अमृत खलको को दिया राज्यपाल के सचिव का अतिरिक्त पदभार
बस्तर के कमिश्नर रहे अमृत खलको को कृषि विभाग का सचिव बनाते हुए राज्यपाल के सचिव का अतिरिक्त पदभार भी दिया गया। अमृत खलको गुरुवार को दो बार राजभवन गये, लेकिन ज्वाइन नहीं कर पाये। शुक्रवार को सरकार के दो वरिष्ठ मंत्री रविंद्र चौबे और मोहम्मद अकबर ने राजभवन जाकर राज्यपाल अनुसुईया उइके से सौजन्य की हैं, लेकिन अमृत खलको अब तक राजभवन में पदभार संभाल नहीं पाये हैं।
नाराज राज्यपाल ने 8 विधेयक रोके
बता दें कि राजभवन और सरकार के बीच टकाराव कुलपति की नियुक्ति से शुरू हुआ। राज्यपाल ने कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय में नए कुलपति की नियुक्ति का आदेश जारी किया। सरकार ने नराजगी जाहिर करते हुए कहा कि राज्यपाल ने अपनी मर्जी से कुलपति की नियुक्ति की हैं। इसके बाद सरकार विधानसभा में कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर विधेयक ले आई। इसमें कुलपति की नियुक्ति का अधिकार सरकार के पास चला गया। इससे नाराज होकर राज्यपाल ने 8 विधेयकों को रोक रखा हैं। इन विधयेकों को पास कराने के लिए 5 मंत्री राज्यपाल से मिलने पहुंचे, लेकिन राज्यपाल ने विधि विशेषज्ञों की राय लेने का हवाला देकर मंत्रियों को वापस भेज दिया। इसके बाद मरवाही ग्राम पंचायत को नगर पंचायत बनाए जाने पर राज्यपाल ने आपत्ति करते हुए सरकार के इस फैसले पर रोक लगा दी।
राजभवन की बैठक में नहीं पहुंचे गृहमंत्री
प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर राज्यपाल ने पिछले बुधवार को गृह विभाग की समीक्षा बैठक राजभवन में बुलाई थीं। गृह विभाग ने गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के क्वारंटाइन होने की जानकारी देते हुए बैठक स्थगित करने का आग्रह किया। जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया, लेकिन उसी दिन साहू सीएम भूपेश बघेल की अध्यक्षता में हुई गृह विभाग की बैठक में शामिल हुए। इसके बाद भाजपा ने इसे मुद्दा बना लिया हैं।
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