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22 मई को मनाई जाएगी शनि जयंती, भगवान शनि की दृष्टि से क्यों डरते हैं लोग? जानिए किन लोगों को शानिदेव देते हैं सजा..

shani 1 1 22 मई को मनाई जाएगी शनि जयंती, भगवान शनि की दृष्टि से क्यों डरते हैं लोग? जानिए किन लोगों को शानिदेव देते हैं सजा..

सूर्यपुत्र शानि देव को लेकर कई तरह की बातें की जाती हैं। शनिदेव को लेकर ये कहा जाता है कि, उनकी दिव्य दृष्टि जिस पर भी पड़ जाए उसका जीवन सफल हो जाता है।

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तो वहीं अगर एक बार भगवान शनि किसी से नाराज हो जाएं तो उस पर मुसीबतों के बादल मंडराने लगते हैं।

22 मई शुक्रवार को शनि जयंती है। ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि पर शनि जयंती मनाई जाती है। इसी दिन भगवान शनि का जन्म हुआ था।

यह दिन शनिदेव की पूजा-अर्चना कर उनकी कृपा पाने के लिए श्रेष्ठ है। नवग्रहों में शनि को न्यायाधिपति माना गया है,वे मनुष्यों को उनके कर्मानुसार फल प्रदान करते हैं।

इससे पहले शनि 11 मई को मकर राशि में वक्री हो चुके हैं, जो 29 सितंबर तक इसी अवस्था में रहेंगे।

जिसका असर 12 राशियो पर अच्छा और बुरा दोनों ही पड़ता दिख रहा है। लिए आपको शनि जयंती पर शनि देव से जुड़ी हुए कुछ खास बातें बताते हैं।

शनिदेव को पत्नी से ही मिला था शाप
ब्रह्मवैवर्त पुराण की मानें तो युवावस्था में शनि के पिता सूर्यदेव ने उनका विवाह चित्ररथ की कन्या से करवा दिया। वह परम तेजस्विनी थी। एक दिन वह ऋतु स्नान कर पुत्र प्राप्ति की इच्छा लिए शनिदेव के पास पहुंची, पर शनिदेव तो भगवान श्री कृष्ण के ध्यान में लीन थे, उन्हें ब्राह्य ज्ञान बिल्कुल नहीं था।

उनकी पत्नी प्रतीक्षा करके थक गई। अपना ऋतुकाल निष्फल जानकर उन्होंने क्रुद्ध होकर शनिदेव को श्राप दे दिया कि आज से तुम जिसकी ओर दृष्टि करोगे, उसका अंमगल हो जाएगा। तभी से शनिदेव अपना सिर नीचा करके रहने लगे, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि किसी का अनिष्ट हो।

शनिदेव को कैसे करें प्रसन्न?
1. हर शनिवार को काले तिल के साथ आटा और शक्‍कर मिला लें और उसे चींटियों को खाने के लिये छोड़ दें।

2. अगर किसी इंसान को शनि देव की कृपा नहीं मिल रही है तो, काले घोड़े की नाल या नाव की कील से अंगूठी बनाकर अपनी मध्यमा उंगली में शनिवार के दिन सूर्यास्त के समय धारण करें। ऐसा करने से लाभ मिलता है।

3. आप चाहें तो शनिदेव से मुक्‍ती पाने के लिये उनके नाम का 108 बार जप करें। नाम इस प्रकार हैं – कोणस्थ, पिंगल, बभ्रु, कृष्ण, रौद्रान्तक, यम, सौरि, शनैश्चर, मंद, पिप्पलाश्रय। ऐसा करने से आपको अवश्य लाभ मिलेगा।

साढ़ेसाती और ढैय्या वाले रहें संभलकर

24 जनवरी 2020 को शनि 30 वर्षों के बाद स्वयं की राशि मकर में आए थे जिसके चलते धनु, मकर और कुंभ राशि वालों इस समय शनि की साढ़ेसाती सवार है। इन तीन राशियों के जातकों के साथ परेशानियां बनी रहेगी। काम में सफलता कम ही मिलेगी। वाद-विवाद होता रहेगा। वहीं मिथुन और तुला राशि वालों पर शनि की ढैय्या चल रही है। जिसके कारण इन दो राशियों के जातकों को भी कोई खास सफलता नहीं मिलेगी।

शानिदेव को खुश करने के लिए क्या करें और क्या न करें
1- काले तिल और उड़द से बनी खाने की चीजें का दान करें।
2- शनिदेव की प्रतिमा को तेल चढ़ाएं और शनिवार को खिचड़ी खाएं।
3- शनिदेव की पूजा में नीले फूल का उपयोग करें, शनिवार को लाल कपड़े न पहनें
4- शनिदेव को तिल के तेल का दीपक लगाएं,
-5-शनिवार के दिन मांस मंदिर और लहसुन-प्याज न खाएं।
6- शनिवार को खाने में तेल का उपयोग न करें।

ऐसा करने वालों को शनि देते हैं कष्ठ
शनि उन लोगों को सबसे अधिक कष्ठ देते हैं जो दूसरों को सताते हैं। मजदूर और गरीबों पर अत्याचार करते हैं। वहीं जीव जंतु खास तौर पर कौवा और कुत्ता आदि को मारने वालों को भी शनि का प्रकोप झेलना पड़ता है।

इन राशियों के जातक के लिए बजी खतरे की घंटी

शनि की साढ़ेसाती धनु, मकर और कुंभ राशि पर है। वहीं मिथुन और तुला राशि पर शनि की ढैय्या है।
इसलिए इन राशि वालों को विशेष ध्यान देने की जरुरत है। शनि एक न्याय प्रिय ग्रह हैं। इसलिए इन्हें अन्याय पसंद नहीं है।

कलयुग में शनि को मनुष्य को उसके किए गए कर्मों का फल इसी जन्म में देने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

इसलिए शनि देव व्यक्ति के अच्छे बुरे कर्मों का फल उसे इसी जन्म में प्रदान करते हैं। शनि को धोखा देने वाले, स्वार्थी, दूसरों के हक का अतिक्रमण करने वाले और रिश्वत लेने वाले व्यक्ति बिल्कुल भी पसंद नहीं है।ऐसे लोगों को भी शनि कठोर दंड देते हैं।

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अगर आप चाहते हैं कि, शानि देव की आप पर अच्छी दृष्टि बनी रहे तो गलत कामों से दूर रहें।

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