नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दर में कटौती कर लोगों को दिवाली तोहफा दिया है। रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा पेश की। इसमें रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट यानी चौथाई फीसदी तक की कटौती की गई है। रेपो रेट घटकर अब 5.15 फीसदी रह गई है। रेपो रेट घटने के बाद बैंक भी ब्याज दर घटाएंगे और लोगों के होम लोन, ऑटो लोन आदि की ईएमआई कम हो जाएगी।
बता दें कि इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने इस वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को भी घटाकर 6.1 फीसदी कर दिया है। रिजर्व बैंक ने साल 2019 में लगातार पांचवीं बार ब्याज दरों में कटौती की है। इस साल अब तक ब्याज दर में 1.35 फीसदी तक की कटौती हो चुकी है। उम्मीद है कि बैंक दिवाली से पहले इसका फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएंगे। इसके साथ ही रिवर्स रेपो रेट यानी जो ब्याज बैंकों को रिजर्व बैंक के पास फंड रखने में मिलता है, उसको भी घटाकर 4.90 फीसदी कर दिया गया है।
वहीं रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने यह तय किया है कि जब तक ग्रोथ में सुधार नहीं आता, इस तरह के राहत देने वाले कदम उठाए जाएं, लेकिन महंगाई को लक्ष्य के भीतर रखने पर पूरा ध्यान होगा। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक ने मध्यम अवधि में कंज्यूमर प्राइस आधारित महंगाई 4 फीसदी रखने का लक्ष्य रखा है। एमपीसी के सभी सदस्यों ने रेट में कटौती के समर्थन में वोट दिया।
मान लीजिए कि रेपो रेट में कटौती के बाद कोई बैंक होम लोन की ब्याज दर 0.25 फीसदी की कटौती करता है तो उससे 25 लाख रुपये तक के 20 साल के लोन की ईएमआई हर महीने करीब 400 रुपये कम हो जाएगी। अगर आपने 25 लाख रुपये तक का होम लोन 20 साल के लिए लिया है और ब्याज दर 8.35 फीसदी तक है, तो अभी आपकी हर महीने कटने वाली ईएमआई 21,459 रुपये होती है। लेकिन अगर ब्याज दर घटकर 8.10 फीसदी रह जाए तो इसी होम लोन पर ब्याज दर 21,067 रुपये हो जाएगी।
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंक RBI से लोन लेते हैं यानी यह बैंकों के लिए फंड की लागत होती है। यह लागत घटने पर बैंक अपने लोन की ब्याज दर भी कम करते हैं। इस साल जनवरी से अभी तक रिजर्व बैंक रेपो रेट में 1.35 फीसदी तक कटौती कर चुका है। रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति कमिटी (MPC) इसके बारे में निर्णय लेती है।
रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए जीडीपी बढ़त के अनुमान को और घटाते हुए 6.9 से 6.1 फीसदी कर दिया है। रिजर्व बैंक ने कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था में लगातार पांचवी तिमाही जीडीपी ग्रोथ रेट में कमी आई है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट सिर्फ 5 फीसदी रही है। प्राइवेट फाइनल कंजम्पशन एक्सपेंडीचर (PFCE) घटकर 18 तिमाही के निचले स्तर पर पहुंच गया है। हालांकि ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (GFCF)में मामूली सुधार आया है।
इसके पहले रिजर्व बैंक ने अगस्त में मौद्रिक नीति समीक्षा की थी और तब भी ब्याज दरों में चौथाई फीसदी की कटौती की गई थी। इस बीच आर्थिक परिस्थितियों में काफी बदलाव आया है। इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5 फीसदी रह गई है, जिस पर RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी अचरज किया था। इसके बाद सरकार ने चौंकाते हुए कॉरपोरेट टैक्स में कटौती कर दी थी, जिससे सरकार के खजाने में 1.45 लाख करोड़ रुपये की कमी होने का अनुमान है। इसके अलावा पीएमसी बैंक के संकट से वित्तीय प्रणाली की अनिश्चितता बढ़ गई।
इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ घटकर 5 फीसदी रह गई है और पूरे वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ महज 6.8 फीसदी रही है। रिजर्व बैंक ने पहली तिमाही में 5.8 फीसदी ग्रोथ होने का अनुमान लगाया था, लेकिन यह पूरी तरह से गलत साबित हुआ। IL&FS के ढह जाने और पीएमसी सहित कई वित्तीय कंपनियों, बैंकों की मुश्किल से रिजर्व बैंक के लिए इस सिस्टम में स्थिरता बनाए रखने की चुनौती है। रिजर्व बैंक ने हाल में भरोसा दिया है कि भारतीय बैंकिंग सिस्टम मजबूत और सुरक्षित है और जनता को चिंता करने की जरूरत नहीं है। ऐसी अफवाह भी उड़ गई थी कि एनपीए की वजह से कई बैंक बंद हो रहे हैं, जिनका रिजर्व बैंक ने तत्परता से खंडन किया।
इसके अलावा अर्थव्यवस्था की सुस्ती और कॉरपोरेट टैक्स में कटौती से वित्तीय घाटे के मोर्चे पर नए तरह की चिंताएं खड़ी हुई हैं। राजकोषीय घाटा जीडीपी के 3.3 फीसदी के लक्ष्य को पार कर जाने की आशंका है। ज्यादा राजकोषीय घाटे से महंगाई बढ़ सकती है।