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वेंकैया नायडू का राजनीतिक दलों को सुझाव: लोक लुभावन योजनाओं का सहारा न लें

m vaikaiya naidu वेंकैया नायडू का राजनीतिक दलों को सुझाव: लोक लुभावन योजनाओं का सहारा न लें

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने राजनीतिक दलों को अस्थायी फायदे के लिए लोक-लुभावन और वोट को ध्यान  में रखते हुए योजनाएं लाने की बजाए देश के आर्थिक विकास को गति देने के लिए लंबी अवधि की संरचनात्मक कार्यक्रमों के साथ आगे आने की सलाह दी।

उपराष्ट्रपति पद पर 2 साल पूरे होने की खुशी में दोस्तों और शुभचिंतकों द्वारा आंध्र प्रदेश के नेल्लोर में आयोजित मीट एंड ग्रीट कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति ।नायडू ने कहा कि आजादी के 72 साल बाद भी 18 से 20 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे हैं और लगभग 20 फीसदी लोग अशिक्षित रह गये हैं।

उपराष्ट्रपति ने इच्छा जताई कि राजनीतिक दल लोगों की मूलभूत सुविधाओं में सुधार पर ध्यान दें, गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवा और शैक्षणिक सुविधाएँ सुनिश्चित करें, लिंग भेद एवं समाज में भेदभाव और शहरी एवं ग्रामीण विभाजन को कम  करने की कोशिश करें।

नायडू ने राजनीतिक दलों को जनमत के प्रति धैर्यवान  और सहनशील होने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को विरोधियों का सम्मान और खुले मन से संरचनात्मक कार्यक्रमों को स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंसा का सहारा या अनुचित ढंग से किसी पर हमला करना लोकतंत्र  के लिए हानिकारक है।

उपराष्ट्रपति ने संसदीय लोकतंत्र में भारत को अनुकरणीय देश बनाने के लिए विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका में सुधार की पहल करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सेवा डिलिवरी में सुधारलाने, न्यायपालिका के कामकाज में जारी देरी को कम करने और विधायिका एवं संसदीय कार्यप्रणाली के बिना किसी बाधा के पूर्ण होना सुनिश्चित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अंततः समय पर लोगों को सेवाओं की डिलिवरी मायने रखती है। उपराष्ट्रपति ने विभिन्न स्तरों पर लोगों की सोच, रूख और व्यवहार में बदलाव पर बल देते हुए लोगों से स्वार्थ की भावना त्यागने और सकारात्मक एवं संरचनात्मक रूख अपनाने का आग्रह किया। विश्वभर में भारत के प्रति बढ़ते उत्साह और रूचि पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने विश्वास जताया कि यदि लोग संरचनात्मक तरीके से काम करने लगें तो 2 अंकों की वृद्धि दर हासिल की जा सकती है।

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने इसे राज्य का सामान्य पुनर्गठन बताया। अनुच्छेद 370 को संविधान का अस्थायी प्रावधान बताते हुएउन्होंने कहा कि यह राजनीतिक नहीं, एक राष्ट्रीय मुद्दा था।

इस मौके पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी, आंध्र प्रदेश के सिंचाई मंत्री पी अनिल कुमार यादव, सांसद प्रभाकर रेड्डी एवं दुर्गा प्रसाद, कई विधायक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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