नई दिल्ली। ‘मोदी सरकार दो’ के गठन के बाद से इस मानसून सत्र में सबसे ज्यादा काम होने का ढिढोरा पीटा जा रहा है और कहा जा रहा है कि इस बार पिछले कई बीस वर्षों से ज्यादा का कार्य किया गया है और जो भी कानून पास करने रह गए हैं उन्हें भी वर्तमान सत्र को ही आगे बढ़ा कर पूरा किया जाएगा।
भाजपा संसदीय दल की बैठक में सरकार अलग मानसून सत्र बुलाने के बजाय इस सत्र को ही बढ़ाकर इन लंबित कानूनों को पास करने का मन बना रही है। बता दें कि 17वीं लोकसभा का पहला सत्र अपने निर्धारित समय से अधिक समय से काम कर रहा है, पिछले 20 वर्षों में इसकी उत्पादकता सबसे अधिक रही है। पीआरएस द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, इस बार 16 जुलाई तक लोकसभा की उत्पादकता 128 फीसद है।
बताते चलें कि अगला शीत कालीन सत्र शुरू होने में करीब 4 से 5 महीने का अंतर होगा। लिहाजा, सरकार कई प्रमुख कानूनों को लंबित नहीं रखना चाहती है क्योंकि इनमें से कई बिल सरकार को प्रमुख एजेंडे में से एक है। अब तक सत्र में कम से कम आठ बिल पास हो चुके हैं।
इससे पहले साल 2016 में बजट सत्र और साल 2014 में शीतकालीन सत्र में सबसे ज्यादा काम हुआ था। तब लोक सभा की प्रोडक्टिविटी करीब 125 फीसदी थी। 11 जुलाई को लोकसभा में सबसे ज्यादा काम हुआ था। उस दिन लोकसभा की कार्यवाही लगातार 13 घंटे तक चली थी। क्योंकि सदन ने आधी रात तक रेल मंत्रालय के लिए अनुदान की मांग पर चर्चा की थी। सूत्रों ने बताया कि सांसद ओम बिड़ला ने लोक सभा सचिवालय से अल सुबह तक लॉजिस्टिकल सपोर्ट देने की गुजारिश की थी क्योंकि शुरुआती योजाना सुबह तीन बजे तक सत्र के चलने की थी।