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चुनाव आयुक्त- चुनाव आयोग आमने सामने, कांग्रेस ने आयोग को बताया नरेंद्र मोदी का पिछलग्गू

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एजेंसी, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव के खत्म होते-होते चुनाव आयोग में भी मतभेद खुलकर सामने आने लगे हैं. आयोग के आचार संहिता तोड़ने संबंधी कई फैसलों पर असहमति जताने वाले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा को पत्र लिखकर मांग की है कि आयोग के फैसलों में आयुक्तों के बीच मतभेद को भी आधिकारिक रिकॉर्ड पर शामिल किया जाए.
अशोक लवासा देश के अगले मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की कतार में हैं और सूत्रों के मुताबिक लवासा आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को सीधे-सीधे लगातार क्लीन चिट और विरोधी दलों के नेताओं को नोटिस थमाए जाने के खिलाफ रहे हैं.
21 मई को चुनाव आयोग की बैठक
चुनाव आयोग में फैसले को लेकर हो रहे विवाद और लवासा की ओर से पत्र लिखे जाने को लेकर मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा, ‘चुनाव आयोग में 3 सदस्य होते हैं और तीनों एक-दूसरे के क्लोन नहीं हो सकते. मैं किसी भी तरह के बहस से नहीं भागता. हर चीज का वक्त होता है.’
चुनाव आयोग में शीर्ष अधिकारियों के बीच जारी विवाद पर के बीच अब 21 मई को आयोग की अहम बैठक होने वाली है. इस बैठक पर अब सभी की नजर है कि इसमें चुनाव आयुक्त अशोक लवासा शामिल होते हैं या नहीं. चुनाव आयोग ने दावा किया है कि ये सब उसका ‘आंतरिक मामला’ है. लेकिन आयोग का ‘आंतरिक मामला’ मीडिया में आने के बाद चुनाव आयुक्त लवासा का बैठक में आना या गैरहाजिर रहना दोनों ही सुर्खियों में तो रहेगा ही.
चुनाव आयोग मोदी का पिट्ठूः कांग्रेस
दूसरी ओर, इस विवाद पर कांग्रेस का कहना है कि चुनाव आयोग मोदी का पिट्ठू बना चुना है, अशोक लवासा की चिट्ठी से साफ है कि सीईसी और उनके सहयोगी लवासा के बीच नरेंद्र मोदी और अमित शाह को लेकर जो अलग मत है, उसे रिकॉर्ड करने को तैयार नहीं हैं।

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