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वित्त वर्ष 2018-19 में निर्यात में 9 प्रतिशत की वृद्धि, पिछले 5 सालों के उच्च स्तर पर

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नई दिल्ली। सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के निर्यात का आंकड़ा जारी कर दिया है। इस आंकड़े के मुताबिक, निर्यात में वार्षिक वृद्धि 9 प्रतिशत दर्ज की गई है और यह 331 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। इसने 2013-14 के रेकॉर्ड को तोड़ा है जब निर्यात 314.4 अरब डॉलर दर्ज किया गया था। उधर, मार्च में निर्यात में 11 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है जो अक्टूबर, 2018 के बाद से निर्यात में सबसे बड़ी मासिक वृद्धि है। उस समय निर्यात 17.86 प्रतिशत बढ़ा था। फार्मा, रसायन और इंजिनियरिंग जैसे क्षेत्रों में ऊंची वृद्धि की वजह से कुल निर्यात बढ़ा है।
उधर, वाणिज्य मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा, ‘वैश्विक मंदी के रूप में आई बड़ी गिरावट के बावजूद व्यापारिक निर्यात 2018-19 में 331 अरब डॉलर दर्ज किया गया जो कि अब तक उच्च स्तर है, जो 2013-14 के 314.4 अरब डॉलर के स्तर से आगे बढ़ गया है। यह उपलब्धि चुनौतिपूर्ण वैश्विक माहौल में हासिल की गई है।’
व्यापार घाटे का हाल
इस दौरान व्यापार घाटा कम होकर 10।89 अरब डॉलर पर आ गया, जो मार्च, 2018 में 13।51 अरब डॉलर था। सोने का आयात मार्च में 31।22 प्रतिशत बढ़कर 3।27 अरब डॉलर पर पहुंच गया। कच्चे तेल का आयात 5।55 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 11।75 अरब डॉलर रहा। पूरे वित्त वर्ष 2018-19 में आयात 8।99 प्रतिशत बढ़कर 507।44 अरब डॉलर रहा। वित्त वर्ष के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर 176।42 अरब डॉलर रहा, जो 2017-18 में 162 अरब डॉलर था।
ग्रोथ की वजह
निर्यातकों के प्रमुख संगठन फियो के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि संरक्षणवाद, कठिन वैश्विक स्थिति और घरेलू मोर्चे पर अड़चनों के बावजूद निर्यात बढ़ा है। गुप्ता ने कहा कि निर्यातकों को ऋण के प्रवाह, शोध एवं विकास के लिए ऊंची कर कटौती, जीएसटी से पूरी तरह छूट, विदेशी पर्यटकों को बिक्री पर लाभ जैसे समर्थन तत्काल उपलब्ध कराने की जरूरत है। मंत्रालय ने कहा कि 2016-17 से कुल निर्यात (वस्तुओं और सेवाओं का मिलाकर) लगातार बढ़ रहा है। 2018-19 में यह पहली बार 500 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया। वस्तुओं और सेवाओं का कुल निर्यात 2018-19 में 7।97 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 535.4 अरब डॉलर रहने का अनुमान है। हालांकि, आंकड़ों के अनुसार फरवरी, 2019 में सेवा निर्यात 6.54 प्रतिशत घटकर 16.58 अरब डॉलर रह गया। इस दौरान सेवाओं का आयात भी 11 प्रतिशत घटकर 9.81 अरब डॉलर पर आ गया।

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