भारत में नवरात्रि का त्यौहार 9 दिनों तक बहुत ही बड़े तौर पर मनाया जाता है। नवरात्रि त्यौहार के आख़िरी दिन विजयदशमी या दशहरा का उत्सव मनाया जाता है। रामायण के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। इस कारण सभी मोहल्लों और बड़े मैदानों में लोग रावण के बड़े पुतलों को जला कर (रावण दहन) करके खुशियों के साथ इस त्योहार को मनाते हैं।
नवरात्रि त्यौहार के दौरान पूरे पारंपरिक तथा रीति रिवाज के साथ देवी दुर्गा मां के 9 अवतारों की पूजा की जाती है। माता दुर्गा के 9 रूपों के नाम हैं – शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चन्द्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री।
नवरात्रि का त्यौहार प्रतिवर्ष 5 बार मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने में नवरात्रि त्यौहार को ‘वसंत नवरात्रि’ के रुप में मनाया जाता है जो आधुनिक युग के कैलेंडर के अनुसार मार्च के महीने में पड़ता है। वसंत नवरात्रि के नौवें दिन को राम नवमी के रुप में मनाया जाता है।
उसी प्रकार जून जुलाई के महीने में ‘गुप्त नवरात्रि’ मनाया जाता है। इस दिन को ‘गायत्री नवरात्रि’ के रूप में भी जाना जाता है। अक्टूबर और नवंबर के महीने में ‘शरद नवरात्रि’ मनाया जाता है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन महीने के रूप में जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के पौष महीने में ‘पौष नवरात्रि’ मनाया जाता है जो हो दिसंबर और जनवरी महीने में पड़ता है। अंत में जनवरी और फरवरी महीने के दौरान माघ महीने में माघ नवरात्रि मनाया जाता है।
गुजरात में नवरात्रि की विशेष तैयारी
गुजरात के बड़ोदरा में नवरात्री के उत्सव सबसे भव्य और सुन्दर रूप देखने को मिलता है। इसमें त्यौहार के दौरान प्रतिदिन 4-5लाख लोग गरबा नाचने के लिए एक ही स्थान पर इक्कठा होते हैं। गरबा सिर्फ नृत्य के रूप में नहीं इस दिन प्रतियोगिता के रूप में यहाँ किया जाता है जहा बेहतर गरबा करने वालों को पुरस्कृत किया जाता है। ‘माँ शक्ति नवरात्री महोत्सव’ को लिम्का बुक्स ऑफ़ रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है सबसे बड़े गरबा नृत्य एक साथ होने के कारण।
उत्तर भारत में कई जगहों पर नवरात्रि के नौवें दिन ‘कन्यापूजन’ भी नवरात्रि के दौरान लोग करते हैं। इस पूजा मंए 9 छोटी लड़कियों को देवी मां के नौ रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है और साथ ही उन्हें हलवा, पूरी, मिठाईयां, खाने को दिया जाता है।
उसी प्रकार भारत के पूर्वी राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल में जगह-जगह दुर्गा मां के पंडाल बनाए जाते हैं जहां भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। वहां पर माता दुर्गा की पूजा करते हैं और उनसे सुख शांति की कामना करते हैं। कई जगहों पर पारंपरिक नृत्य और गीत के कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं जहां हजारों की तादाद में लोग पहुंचते हैं। दसवें दिन पश्चिम बंगाल के लोग मां दुर्गा की मिट्टी के मूर्तियों को पानी में विसर्जन कर देते हैं।
Navratri 2019: घट स्थापना के शुभ मुहूर्त
शुभ : सुबह 7.48 से 9.18 बजे तक
चर: दोपहर 12.18 से 1.48 बजे तक
लाभ : दोपहर 1.48 से 3.18 बजे तक
अमृत : दोपहर 3.18 से 4.48 बजे तक
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.30 से 12.50 बजे तक
लाभ : सायंकाल 6.41 से रात्रि 8.11 बजे तक