नई दिल्ली: केंद्र सरकार को उर्जित पटेल के इस्तीफा देने के एक दिन आर्थिक मोर्चे पर एक और बड़ा झटका लगा है। वरिष्ठ अर्थशास्त्री सुरजीत भल्ला ने प्रधानमंत्री की इकोनॉमिस्ट एडवायजरी काउंसिल से इस्तीफा दे दिया है।
सदस्य के पद से त्यागपत्र
भल्ला ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि उन्होंने काउंसिल के अंशकालिक सदस्य के पद से त्यागपत्र दे दिया है। इस काउंसिल की नीति आयोग के सदस्य बीबेक डेबरॉय अध्यक्षता कर रहे थे। अर्थशास्त्री रथिन रॉय, अशिमा गोयल और शामिका रवि इस काउंसिल के अन्य सदस्य हैं।
हालांकि उर्जित ने निजी कारणों का हवाला दिया है। लेकिन इसके पीछे की कहानी पहले से लिखी जा रही थी। आरबीआई और सरकार के बीच तनातनी के समय भी उर्जित पटेल के इस्तीफा देने की अटकलें लग रही हैं। लेकिन उस वक्त इस तरह की खबरों पर बोर्ड की बैठक के बाद विराम लग गया था।
19 नवंबर को आरबीआई के बोर्ड की बैठक हुई थी। इसके बाद रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने के फैसले के बाद बुलाई गई पत्रकार वार्ता में भी उर्जित, सरकार से तनातनी होने के सवालों का जवाब देने से बचते रहे।
इस्तीफा देने के पीछे यह हो सकते हैं बड़े कारण
जिन कारणों से उर्जित पटेल को गवर्नर पद से इस्तीफा देना पड़ा उनमें सरकार द्वारा सेक्शन 7 का इस्तेमाल करने की बात कहना और छोटे उद्योगों के लिए लोन आसान बनाना, कर्ज और फंड की समस्या से जूझ रहे 11 सरकारी बैंकों को कर्ज देने से रोकने पर राहत और शैडो लेंडर्स को ज्यादा लिक्विडिटी देना शामिल है।