अमृतसर। पंजाब में इतिहास की किताबों से सिख गुरुओं के चैप्टर को हटाने को लेकर सियासत गरमा गई है। अकाली नेता और प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल और गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रधान गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने पंजाब सरकार पर निशाना साधा है। हालांकि सीएम अमरिंद सिंह ने इस पर सफाई दे दी है। सीएम के चैप्टर न हटाने के आश्वासन के बाद भी ये मामला शांत नहीं हो रहा है।
अकाली नेता बादल का कहना है कि पंजाब की कैप्टन सरकार ने स्कूली पाठ्य पुस्तकों में से गुरुसाहिब से संबंधित चैप्टर हटाकर अपने नास्तिक होने का सबूत पेश किया है। उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि पंजाब की कैप्टन सरकार नास्तिक है। गौरतलब है कि शनिवार को सीएम ने कहा था कि कोई चैप्टर नहीं हटाया है। अकाली दल झूठी खबर फैला रहा है, बल्कि सरकार ने तो चार साहिबजादों के चैप्टर जोड़े हैं।
वहीं शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष गोबिंद सिंह लोंगोवाल ने कहा कि पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड की 12वीं कक्षा की पाठ्य पुस्तक में सिख गुरु साहिबा के चैप्टर हटाने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह माफी मांगे। लोंगोवाल ने कहा कि देश के सभ्याचार को बचाने के लिए गुरु साहिब समेत सिख शूरवीरों के योगदान को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता। लोंगोवाल ने कहा कि सरकार की इन नीतियों के कारण आने वाली पीढिय़ां हमारे शूरवीरों की जानकारी से वंचित हो जाएंगी।
उनकी मांग है कि सरकार बिना किसी देरी अपना फैसला वापस ले और सिख विरोधी इस साजिश को लेकर सिख कौम से माफी मांगी जाए। केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि पाकिस्तान सरकार की ओर से एसजीपीसी के जत्थों में सिर्फ सिखों को वीजा देने का जो बयान दिया है वह ठीक नहीं है। गुरुधामों के दर्शनों के लिए जत्थे लेकर जाने वाले और जत्थों के साथ जाने वालों दोनों को ही अध्यात्मिक लाभ मिलता है। गुरुधामों के दर्शन सभी के लिए खुले होते हैं। इनको सिर्फ एक धर्म के साथ नहीं बाधना चाहिए।