नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार 42 साल पुरानी मिनी रत्न कंपनी ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन की पूरी हिस्सेदारी बेचने जा रही है। सरकार की ड्रेजिंग कॉर्प में 73.46 फीसदी हिस्सेदारी है। इससे सरकारी खजाने में लगभग 1400 करोड़ रुपए आने का अनुमान है। सरकार की ड्रेजिंग कॉर्प को बेचने के लिए 1 महीने में बोली मंगाने की योजना है। यह कंपनी शिपिंग मिनिस्ट्री के अधीन है। विशाखापटनम में ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन की स्थापना 1976 में हुई थी। यह कंपनी मेंटेनेंस ड्रेजिंग, कैपिटल ड्रेजिंग, बीच नरिशमेंट, लैंड रिक्लेमेशन, शैलो वाटर ड्रेजिंग, प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टैंसी और मरीन कंस्ट्रक्शन से जुड़ी हुई है।
आपको बता दें कि कैबिनेट कमिटी ऑन इकनॉमिक अफेयर्स पहले ही ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया को बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दे चुकी है। ड्रेजिंग कॉर्प में पूरी सरकारी हिस्सेदारी एक साथ बेचने पर सहमति है। सरकार की ड्रेजिंग कॉर्प में 73.46 फीसदी हिस्सेदारी है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन का प्रदर्शन पिछले कई साल से निराशाजनक रहा है। अप्रैल-जून तिमाही में कंपनी का मुनाफा बिना बदलाव के 3.97 करोड़ रुपए रहा था। वहीं, इस दौरान कंपनी की आय 10.8 फीसदी बढ़कर 157.9 करोड़ रुपए रही थी।
वहीं कर्मचारियों का क्या होगा ड्रेजिंग कॉर्पोरेशन में करीब 500 कर्मचारी हैं। शिपिंग मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक, कंपनी के कर्मचारियों के पास वीआर का ऑप्शन है। इसके अलावा कंपनी के मालिक ही कर्मचारियों पर फैसला लेंगे। आपको बता दें कि यह बीएसई और एनएसई पर लिस्टेड कंपनी है।