नई दिल्ली। कक्षा 12वीं की राजनीतिक शास्त्र की किताब में 2002 के गुजरात दंगों को एंटी मुस्लिम बताकर बच्चों को आज तक पढ़ाया जा रहा था। इस शब्द के विरोध के बाद एनसीईआरटी ने अपनी किताब में से इस शब्द को हटा दिया है। एनसीईआरटी के नए फॉरमेट के बाद अब छात्रों को गुजरात दंगा पढ़ने को मिलेगा न की एंटी मुस्लिम राइट्स। एनसीईआरटी ने राजनीतिक शास्त्र की किताब पॉलिटिक्स इन इंडिया सिंस इंडिपेंडेंस के चैप्टर के सब हेड में बदलाव किया है। मिली जानकारी के मुताबिक किताब के पेज नंबर 187 पर दंगों से संबंधित पैराग्राफ छपा है, जिसका शीर्षक अब मुस्लिम विरोधी दंगों से बदलकर गुजरात दंगे कर दिया गया है। हालांकि इस किताब में साल 1984 के दंगों को सिख विरोधी हिंसा ही बताया गया है।
नई किताब में पैसेज के अंदर दो तरह के बदलाव किए गए हैं। शीर्षक के अलावा पैसेज की पहले शब्द से मुस्लिम शब्द को भी हटा दिया गया है। इस पैसेज में आज से पहले पढ़ा जाता था कि साल 2002 में गुजरात में मुस्लिमों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी, लेकिन अब पैसेज में लिखा जाएगा की साल 2002 में बड़ी तादाद में गुजरात के अंदर हिंसा भड़की थी। बता दें कि 12वीं की किताब में लिखे इस पैसेज को लेकर साल 2007 में प्रकाशित होने के दौरान किया था, जिस वक्त केंद्र की सत्ता में कांग्रेस की अगुवाई में यूपीए की सरकार थी। एनसीईआरटी के अधिकारियों के मुताबिक जिस सिलेबस को स्वीकृति दी गई है, उससे टेक्सट बुक्स को तैयार किया जाता है और इसमें अब एंटी मुस्लिम शब्द की कोई जरूरत नहीं है।
गौरतलब है कि आजाद भारत के इतिहास में गुजरात दंगा सबसे भीषण हिंसा मानी जाती है। साल 2007 में यूपीए के शासनकाल में प्रकाशित एनसीईआरटी की किताब में बदलाव का फैसला एक बैठक में लिया गया था। इस बैठक में सीबीएसी और एनसीआरटी के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। जिसके बाद पिछले साल इस किताब में परिवर्तन के लिए एचआरडी मंत्रालय ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को सुझाव दिया था। इसके बाद उन्होंने कहा कि किताबों में यह बदलाव कर दिए जाएंगे और साल के आखिर में नई किताबों को छापा जाएगा। फिलहाल अभी इस मुद्दे पर एनसीईआरटी के निदेशक ऋषिकेश सेनापति ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।