बीते दिनों सूबे में लोकसभा के उप चुनाव हुए है, जिन दो सीटों पर ये चुनाव हुए वो भाजपा के लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण रही हैं। क्योंकि एक सीट सीएम योगी आदित्यनाथ से जुड़ी थी, तो दूसरी सीट डिप्टी सीएम केशव मौर्य से लेकिन दोनों सीटों पर इनकी चिरप्रतिद्वंदी पार्टी सपा के प्रत्याशियों की जीत हुई है। कहा जा रहा था कि लोकसभा के 2019 चुनाव के पहले जनता का मिजाज समझने का ये सीटों बड़ा जरिया होगीं इन सीटों के साथ भाजपा की जहां प्रतिष्ठा जुड़ी थी। वहीं पर इन पर जीत के साथ भाजपा इस बात को तय करना चाहती थी कि उसका क्रेज जनता के बीच अभी भी बना हुआ है। लेकिन हकीकत की जमीन पर योगी के पासे उल्टे पड़ गए। दोंनों भाजपा के किले ध्वस्त हो गए। हांलाकि पार्टी ने सहज हार स्वीकार कर ली लेकिन अब इनका असर सूबे की प्रशासनिक इकाइयों पर दिख रहा है।
बीजेपी को 2019 चुनाव से पहले तीन सीटों पर हार के साथ जोरदार झटका लगा है। इन तीनों सीटं में यूपी में बीजेपी का गढ़ रहा गोरखपुर, फूलपुर और बिहार का अररिया शामिल है। उत्तर प्रदेश की दोंनों सीटों पर ही बीजेपी ने भारी जीत हासिल की थी लेकिन महज एक साल में ही भाजपा मुंह के बल गिरी है। बीजेपी की ये हार कहीं ना कहीं देश में उसकी लोकप्रियता को लेकर सवालिया निशान खड़ा कर रही हैं।
उत्तर प्रदेश उपचुनाव से कुछ समय पहले ही नॉर्थ ईस्ट में बंपर जीत हासिल की थी। त्रिपुरा में 25साल से सत्ता में काबिज वाम को बीजेपी ने पटखनी दी थी। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की हार की वजह सपा और बसपा का गठबंधन है या राज्य में जनता ने जिस विश्वास के साथ बीजेपी को जिताया था उसमें कमी है। बहरहाल यह एक अलग मुद्दा है। फिलहाल उपचुनाव के बाद जिस तरह से प्रदेश में ताबड़तोड़ तबादले हुए हैं उसका असली कारण क्या है?
यूपी में 37 आईएएस अधिकारियों का तबादला कर दिया गया है। गोरखपुर, बरेली, सीतापुर, सोनभद्र, बलरामपुर, भदोही, चंदौली, महराजगंज, बलिया, अमरोहा, अलीगढ़, आज़मगढ़ के भी डीएम बदल दिए गए हैं। इन तबादलों के जरिये पांच मंडलों में नए आयुक्त और 16 जिलों में नए जिलाधिकारी तैनात किये गए हैं। इतने बड़े लेवल पर तबादलों की वजह क्या हो सकती है? या तो शायद ये अधिकारी सीएम योगीआदित्यनाथ के कार्यों को समझ नहीं पा रहे या उनकी इच्छाओं पर खरा नहीं उतर पा रहे हैे। या फिर इसका एक बड़ा कारण यह भी हो सकता है कि उनके अनुरूप काम करने में ये आनाकानी कर रहे हों। इससे पहले भी प्रदेश में 26 अधिकारियों को इधर से उधर किया गया था।