नई दिल्ली। दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए एक बार फिर भारत के लड़ाकू विमान डकोटा यानी की परशुराम ने फिर वापसी कर ली है। पाकिस्तान के साथ साल 1948 और 1971 के युद्ध में इस लड़ाकू विमान ने अहम भूमिका निभाई थी और पाकिस्तान को घूटने टेकने पर मजबूर कर दिया था। दूसरे विश्व युद्ध के समय बना ये लड़ाकू विमान कबाड़ हो चुका था, लेकिन इसकी मरम्मत कर दी गई है और ये अगले महीने से एक बार फिर वायु सेना में शामिल हो जाएगा। बता दें कि इस विमान को दोबारा बनाने के लिए छह साल तक ब्रिटेन की एक कंपनी ने मेहनत की है और अब ये उत्तर प्रदेश स्थित हिड़न एयर बेस पर विरासती बेड़े का हिस्सा होगा। इस विमान को नया करके राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर ने वायु सेना को तोहफे में दिया है।
विमान को नया करने को लेकर राज्यसभा सांसद चंद्रशेखर ने वायु सेना प्रमुख बी.एस धनोआ को इस विमान से जुड़े सारे दस्तावेज सौंप दिए हैं। इस विमान द्वारा भारत को मिली सफलता को गिनाते हुए धनोआ ने कहा कि साल 1930 में तत्कालीन रॉयल एयरफोर्स में इसे शामिल किया गया और ये 12वीं स्क्वाड्रॉन का हिस्सा था। उस समय इसे लद्दाख और पूर्वोत्तर क्षेत्र में लगाया गया था। उन्होंने बताया कि कश्मीर को लेकर जब साल 1948 में भारत-पाक के बीच युद्ध हुआ तो इस विमान ने पाकिस्तान की धज्जियां उड़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उन्होंने बताया कि सैन्य इतिहासकार पुष्पिंदर सिंह ने कहा है कि डकोटा की वजह से ही पुंछ अभी तक हमारे पास है। यहीं नहीं इस विमान के जरिए ही साल 1971 के युद्ध में ढाका का मोर्चा गिराने में इसने अहम रोल अदा किया था। ‘डकोटा’ का वास्तविक नाम डगलस डीसी3 विमान है और 27 अक्तूबर 1948 को पहले भारत-पाक युद्ध के दौरान ये थल सेना की सिख रेजीमेंट के सैनिकों को लेकर श्रीनगर पहुंचा था। इसके अलावा तब इसने रसद की आपूर्ति की थी और शरणार्थियों को निकालने में भी मदद की थी। इस विमान को ‘परशुराम’ नाम दिया गया है और अब इसका नंबर ‘वीपी 905’ होगा जो 1947 के युद्ध में जम्मू-कश्मीर भेजे गए ऐसे पहले विमान का भी नंबर था।