लखनऊ। बसपा सूप्रीमो मायावती ने मंगलवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संघचालक मोहन भागवत के सेना व स्वयंसेवकों से जुड़े बयान पर आपत्ति जताया है। कहा कि भारतीय सेना से संघ स्वयंसेवकों की तुलना देशवासियों व सेना दोनों का अपमान है। भारतीय सेना के सामने विभिन्न प्रकार की चुनौती हैं, ऐसे में भागवत का बयान सेना के मनोबल को गिराने वाला है। ऐसे बयान की इजाजत समाज नहीं देगा। संघ प्रमुख को अपने गलत बयानबाजी के लिये देश से माफी मांगनी चाहिये।
बता दें कि भागवत द्वारा बिहार राज्य के मुजफ्फरपुर जिले में संघ प्रमुख भागवत के दिये बयान को आपत्तिजनक ठहराते हुए मयावती ने कहा कि भागवत को अपने स्वयंसेवकों पर इतना ज्यादा भरोसा है तो सरकारी सुरक्षा कर त्याग करें। उनके सुरक्षा के लिये भारतीय कोष से लाखों की धनराशि का खर्च होती है। उन्होंने संघ पर तंज कसा कि आरएसएस के स्वंयसेवकों को यह भ्रम खत्म लेना चाहिये के वे समाज में निःस्वार्थ भाव से काम कर रहे हैं। संघ अब ‘सामाजिक संगठन’ न रहकर बहुत तेजी के साथ राजनीतिक संगठन के रुप में बदल रहा है।
वहीं उनका कहना है कि स्वंयसेवक सामाजिक सेवा को ताक पर रखकर पूरी तरह से बीजेपी की चुनावी राजनीति करने में ही व्यस्त नज़र आते हैं। गौरतलब है कि संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य ने लग रहे आरोपों का खंडन करते हुए बीते 12 फरवरी को प्रेस नोट जारी किया है। कहा कि मोहन भागवत के भाषण में कुछ भी ऐसा व्यक्तव्य नहीं है, जिससे देश व सेना का अपमान हो। उनके भाषण को गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया है।
साथ ही वैद्य ने कहा कि भागवत के भाषण में कहा गया है कि परिस्थिति आने पर व संविधान की आज्ञा पर भारतीय सेना द्वारा सामान्य समाज को तैयार करने में 06 महीना का समय लगेगा तो वहीं संघ स्वयंसेवकों को भारतीय सेना तीन दिन में तैयार कर सकेगी। कहा कि यह सेना के साथ तुलना नहीं था, पर सामान्य समाज व स्वयंसेवकों के बीच तुलना जरुर था।