नई दिल्ली। क्रिकेट के भगवान मास्टर बलास्टर सचिन तेंदुलकर पिछले पांच साल में पहली बार राज्यसभा में बोलने उठे, लेकिन कांग्रेस नेताओं के हंगामे के चलते वो अपना भाषण पूरा ही नहीं कर पाए। यहीं नहीं सदन में सभापति ने विपक्ष के नेताओं से कितनी बार कहा कि वो लीजेंडरी क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को बोलने दे, लेकिन विपक्ष को तो सिर्फ सरकार को घेरने के अलावा दूसरा कोई काम नजर ही नहीं आ रहा है। विपक्ष इस सत्र को भी बिल्कुल ऐसे ही निकाल देना चाहता है। बता दें कि विपक्ष मांग कर रहा है कि पूर्व प्रधानमंत्री पर पीएम मोदी द्वार लगाए गए बेबुनियाद आरोपो पर पीएम माफी मांगे।
विपक्ष की मांग को लेकर सभापति पहले ही कह चुके है कि ये वाक्य संसद के बाहर का है तो पीएम संसद में माफी क्यों मांगे। सभापति का कहना है कि इस मुद्दे को विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के नेता आपस में बैठकर बातचीत करें। ये ठीक है कि इसका कोई नतीजा नहीं निकला था लेकिन अब सदन में खिलाड़ी को तो बोलने दीजिए, वे खेल पर बात करेंगे, लेकिन विपक्ष के नेता अपनी सीटों पर खड़े होकर हंगामा और नारेबाजी करते रहे। नायडू ने कहा कि आप लोगों में खेल की भावना ही नहीं है। मैं इस हंगामे को रिकार्ड में नहीं जाने दूंगा। इसके बाद उन्होंने राज्यसभा टीवी से कहा कि इस हंगामे की लाइव कवरेज बंद कर दें। क्योंकि जनता में ये हंगामा दिखाना उचित नहीं होगा।
सभी टीवी कैमरे बंद हो गए। मगर इसके बाद भी हंगामा चलता रहा, सचिन अपनी जगह पर चुपचाप शांतभाव से 10 मिनट तक खड़े रहे। हंगामे के बीच में ही सभापति ने सचिन से कहा कि आप बोलिए क्योंकि सचिन की स्पीच के अलावा कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा। सभापति के इस आश्वासन के बाद सचिन फिर बोलने के उठे, लेकिन उनके बोलने से पहले ही विपक्ष के नेताओं ने और भी जोरदार तरीके से हंगामा कर दिया और वो फिर शांत हो गए, जिसके बाद सभापति ने संसद की कार्यवाही अगले दिन 11 बजे तक के लिए स्थागित कर दी।
बता दें कि तेंदुलकर खेलों के भविष्य और खेलने के अधिकार पर संक्षिप्त बहस के लिए एक प्रस्ताव रखने वाले थे। इसके अलावा उन्हें अंतरराष्ट्रीय मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को केंद्रीय स्वास्थ्य सेवा की सुविधा और स्कूलों के पाठ्यक्रम में खेलों को शमिल करने के बारे में बोलना था। वहीं दूसरी तरफ संसद में सचिन को नहीं बोलने देने को लेकर सपा नेता जया बच्चन ने कहा कि सचिन ने भारत के लिए विश्व में नाम कमाया है। ये कितने शर्म की बात है कि उन्हें संसद में बोलने नहीं दिया गया जबकि सबको पता था कि आज सदन का एजेंडा क्या था। जया ने कहा कि क्या संसद मे सिर्फ नेताओं को ही बोलने की इजाजत है।