नई दिल्ली। तीन तलाक के खिलाफ सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने वाली सायरा बानो ने कहा कि केंद्र सरकार को तीन तलाक पर पूरी करह से प्रतिबंध लगाने के लिए सख्त से सख्त कानून बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें मोदी सरकार पर पूरा भरोसा है कि वो तीन तलाक को लेकर मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को पूरी तरह से सुरक्षित रखेगी। उन्होंने कहा कि हम ये चाहते हैं कि जब सरकार तीन तलाक पर कानून बनाए तो वो शरीयत के मुताबिक हो और कानून में शरियत के हर कायदे-कानून का पालन किया जाए क्योंकि शरियत के हिसाब से बनने वाला तीन तलाक का कानून सबसे सटिक होगा।
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के मेम्बर कमाल फारुकी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान से पढ़ने के जरूरत है। कोर्ट ने सरकार को कोई ऐसा कानून बनाने के निर्देश नहीं दिए हैं। ये सरकार का एक राजनीतिक दांव है, जोकि गुजरात चुनाव को देखते हुए किया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि गुजरात चुनाव से पहले सरकार को कानून बनाने को लेकर कोई सुध नहीं थी। उन्होंने कहा कि हम पहले ही इसको लेकर कानून बना चुकें हैं और अगर सरकार तीन तलाक पर कानून बनाएगी तो हम इसका सामाजिक बहिष्कार करेंगे, जिसके लिए सभी शहरों में हमारें प्रतिनिधियों को निर्देश दिए जा चुकें है।
शरीयत में भी इसका जिक्र है कि ये गलत है लेकिन अगर दे दिया है तो इसका विकल्प खुला है। दूसरी ओर ऑल इण्डिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड की राष्ट्रीय अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर का कहना है कि हमे पता था कि एक न एक दिन ऐसा जरूर होगा। हमे कोर्ट पर पूरा भरोसा है सरकार तो आती जाती रहती हैं, लेकिन हम ये भी चाहते हैं कि जो कानून बने वो शरीयत के दायरे में हो।इस बारे में जब शिया मुस्लि पर्सनल लॉ बोर्ड के मौलाना कल्बे सादिक और दिल्ली जामा मस्जिद के शाही इमाम सैय्यद अहमद बुखारी से बात करने की बात की गई तो उन्होंने इस मामले पर कुछ भी बोलने से मना कर दिया।