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कोई भी रचनात्मक व्यक्ति अपने विचारों को अपनी कला के माध्यम से व्यक्त कर सकता है: सुप्रीम कोर्ट

padmawati and sc

नई दिल्ली। संजय लीला भंसाली की आने वाले फिल्म पद्मावती के प्रदर्शन को लेकर रोक की मांग कर रहे कुछ संगठन देशभर में जमकर बवाल कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का विरोध करने वाले सभी लोगों को साफ हिदायत दी है और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जीवन पर बनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म “एन इंसिग्निफिकेंट मैन” की रिलीज पर रोक लगाने को लेकर दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया।

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बता दें कि कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए अभिव्यक्ति की आजादी के बारे में जो टिप्पणियां की हैं वो पद्मावती फिल्म के प्रदर्शन को लेकर हो रहे विरोध पर भी इसका असर पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्य पीठ का कहना है कि फिल्म, नाटक, उपान्यास, और किताब लेखन एक सृजनात्मक कला है। कोई भी रचनात्मक व्यक्ति अपने विचारों को अपनी कला के माध्यम से व्यक्त कर सकता है। इसा करने से उसे रोका नहीं जा सकता।

वहीं विरोध कर रहे लोगों ने फिल्म पद्मावती से कुछ दृश्यों को हटाने की मांग करनेवाली याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की है। ये याचिका वकील मनोहरलाल शर्मा ने दायर की है। पिछले 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावती फिल्म को रिलीज करने से रोकने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट का कहना है कि इस मामले पर सेंसर बोर्ड को स्वतंत्र रुप से फैसला लेने दें। चीफ जस्टिस ने कहा था कि जब सेंसर बोर्ड ने ही फिल्म नहीं देखी तो आपकी याचिका अभी प्रि-मैच्योर है। पहले सेंसर बोर्ड को फिल्म देखकर उस पर स्वतंत्र रुप से निर्णय लेने दीजिए। कोर्ट इसमें दखल नहीं कर सकता।

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