ढाका। आरक्षण को लेकर विरोध-प्रदर्शन का दौर सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में भी शुरू हो गया है। बांग्लादेश के शीर्ष विश्विद्यालयों में सोमवार को हुई झड़पो के बाद हजारों छात्रों ने धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान भीड़ को तितर-बितर करने के चक्कर में पुलिस की लाठीचार्ज में 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। दरअसल छात्रों ने आरोप लगाया है कि एक विशेष समूह को सरकारी नौकरी देने के लिए बाकी के छात्रों के साथ भेदभाव किया जा रहा है।
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के एक दशक के कार्यकाल में उनके सामने ये सबसे बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। बांग्लादेश के चिटगांव, खुलना, राजशाही, बारिसाल, रंगपुर, सिलहट और सावर में स्थित कॉलेजो के छात्रों ने कक्षाओं का बहिष्कार कर दिया है। कल रात पुलिस के साथ शुरू हुई छात्रों की झड़पे अभी तक जारी है, जिसके कारण ढाका का विश्वविद्यालय युद्ध क्षेत्र में तब्दील हो गया है। पुलिस का कहना है कि इस संघर्ष में 100 लोग घायल हो गए हैं।
क्या है छात्रों की मांग
विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों के नेता हसन अल मामून कहना है कि उनकी मांग शीर्ष पदों पर नौकरियों के लिए आरक्षण को कम कर 10 फीसदी कर दिया जाए। हिंसा के संबंध में 15 लोगों को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने बताया कि ये आरक्षण भेदभावपूर्ण है। आरक्षण व्यवस्था के कारण 56 फीसदी नौकरियां देश की जनसंख्या के पांच फीसदी लोगों के लिए रख दी जाती हैं और 95 फीसदी लोग शेष 44 प्रतिशत नौकरियों के लिए जद्दोजहद करते हैं। पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी के शिल्पी शेख मुजीब उर रहमान की बेटी तथा मुल्क की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने आरक्षण में कटौती की मांग को खारिज कर दिया है