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रामनगरी में मची रामविवाह की धूम…

ayodhya4 रामनगरी में मची रामविवाह की धूम...

अयोध्या। देखन चलो हिंडोलना मिथिलेश नंदनी को…ऋतु है अगहन की आई चहुंदिसि बजे बधाई के पद गायन के साथ रामनगरी अयोध्या विवाह पंचमी उत्सव में पूरे उल्लास में हैं। इस मौके पर नगरी के हर मंदिरों को दुल्हन की तरह सजाया गया है। अगहन माह में पड़ने वाले इस महा पर्व को लेकर देश विदेशों से लाखों श्रृद्धालुओं का रामनगरी में जमावड़ा लगा हुआ है। लोगों अपने इष्ट भगवान श्रीराम को दूल्हे के रूप में देखने के लिए आतुर दिख रहे हैं।

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रामनगरी में विवाह पंचमी पर होने वाले रामविवाह महोत्सव को लेकर तैयारियां महीनों से यहां के मंदिरों में की जाने लगती हैं। हर मंदिर पर इस विशेष पर को लेकर कुछ विशेष तैयारियां की जाती हैं। विवाह पंचमी को लेकर अयोध्या के दशरथ राजमहल से लेकर कनक भवन जानकी महल, विभूती भवन, कालेराम मंदिर, जानकी घाट मंदिर में इस पर्व पर विशेष उत्सव का माहौल होता है। विवाह की सारी रम्मे रिवाज निभाए जाते है। पूरे विधि विधान के साथ दूल्हा राम और दुल्हन जानकी जी का विवाह होता है।

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इस पर्व पर कई विशेष तैयारियां होती हैं। एक नजर इस पर्व की विशेष तैयारियों पर…

विवाहोत्सव को लेकर पोशाकों की तैयारियां
विवाहोत्सव को लेकर काफी दिनों पहले से ही रामनगरी में विशेष तैयारियां की जाने लगती है। विवाहोत्सव पर बराती से लेकर घराती तक की विशेष तरह की पोशाकों के साथ चारों भाईयों की पोशाकों की तैयारियों का काम किया जाता है। रामनगरी के होने वाले इस विशेष पर्व के लिए मंदिरों में ही राजस्थानी और गुजराती, मारवाड़ी समुदाय के कारीगरों से तरह-तरह के वस्त्रों और पोशाकों का निर्माण कराया जाता है। अलग-अलग तरह की पोशाकों में सजे बराती-घराती और दूल्हा-दुल्हन विवाह पंचमी के दिन खिल उठते है।

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विशेष पकवानों और व्यंजनों को लेकर तैयारियां
इन मंदिरों में विवाह पंचमी को लेकर विशेष ही तरह के व्यंजनों के निर्माण किया जाता है। यहां बनने वाले पकवानों में विशेष तौर पर भोजन आदि में कहीं भी लहसुन-प्लाज का बगैर इस्तेमाल किए उन्हें लजीज और जायकेदार बनाया जाता है। यहां के विशेष व्यंजनों में मिठाई के तौर पर बनने वाले मालपुए के साथ खुरचन पेड़ों को खासतौर पर विवाह महोत्सव में आये मेहमानों के लिए पेश किया जाता है। इसके साथ ही इन मंदिरों में बनने वाली खीर को भी एक अलग अंदाजा में बनाया जाता है। नमकीन में यहां की कचौड़ियां और मठरी भी अलग स्वद बयां करती है।

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लोकाचार परम्पराओं को लेकर तैयारियां
विवाह को लेकर होने वाले समस्त लोकाचार नेछू और कुएं पूजना, लोहार पूजन, कुम्हार, भार और इसके साथ होने वाले रोज के लोकगीतों के अवधी की अलग-अलग की परम्परा है। इसी परम्परा की निर्वाह यहां के हर मंदिरों में विवाहोत्सव के आरम्भ से अंत तक किया जाता है। जिसके लिए भी विशेष तौर पर इन सभी लोगों को आमंत्रित किया जाता है। फिर एक पूरा रिश्तेदारों नातेदारों और प्रजाओं के साथ मनाया जाता है राम-जानकी का विवाहोत्सव।

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रामबारात को लेकर तैयारियां
राम बारात की रामनगरी में शासन-प्रशासन से लेकर यहां के मठ-मंदिरों की ओर से विशेष तैयारियां की जाती है। बैंड-बाजे के साथ हाथी घोड़े और आतिशबाजियों की विशेष तैयारियां की जाती है। शाम को बारात मंदिर से सज-धज कर रामनगरी के रास्तों से होते हुए वापस विवाह मंडपों तक आती है। जहां पर लोकाचार और वेदोपचार से बारात का स्वागत किया जाता है। जिसके बाद रामनगरी में विवाह महोत्सव का आगाज हो उठता है।राम नगरी में चारों ओर लेकर संगीत और गीत और ढोल-नगाड़े के साथ धूम-धाम के साथ विवाहोत्सव समारोह मनाया जाता है।

piyush-shukla(अजस्रपीयूष)

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