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ब्रिटिश संसद में खारिज हुआ ब्रिक्जिट बिल, थेरेसा मे के सांसदों ने भी बिल के विरोध में की वोटिंग

थेरेसा मे ब्रिटिश संसद में खारिज हुआ ब्रिक्जिट बिल, थेरेसा मे के सांसदों ने भी बिल के विरोध में की वोटिंग

ब्रिटिश संसद में ब्रेक्जिट बिल को भारी बहुमत से खारिज किया गया है। गौर करें कि ब्रेक्जिट का मतलब है यूरोपीय संघ से ब्रिटेन का अलग होना। ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे के इस बिल को 432 सांसदों द्वारा खारिज कर दिया गया है। वहीं 202 सांसदों ने बिल का समर्थन भी किया है। लेबर पार्टी के प्रमुख और संसद में नेता प्रतिपक्ष जेरेमी कॉर्बिन ने बुधवार को मे सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आगे पेश किया।

थेरेसा मे ब्रिटिश संसद में खारिज हुआ ब्रिक्जिट बिल, थेरेसा मे के सांसदों ने भी बिल के विरोध में की वोटिंग
ब्रिटिश संसद में खारिज हुआ ब्रिक्जिट बिल, थेरेसा मे के सांसदों ने भी बिल के विरोध में की वोटिंग

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सबसे दिलचस्प बात है कि बिल की वोटिंग में प्रधानमंत्री मे के कई सांसद भी विरोध में शामिल हैं। थेरेसा मे की कजर्वेटिव पार्टी के 118 सांसदों ने विपक्ष के साथ मिलकर इस बिल के खिलाफ वोटिंग की है। प्रधानमंत्री मे ने संसद में अनुरोध किया कि ब्रिटेन की भलाई के लिए इस बिल को समर्थन दिया जाए। लेकिन उनकी अपील ना असर रही और सांसदों ने बहुमत से बिल को खारिज कर दिया। इसी के साथ ब्रिटेन के अलग वजूद की आशाओं में पानी सा फिरने लगा है। क्योंकि यूरोपियन संघ (ईयू) से ब्रिटेन के अलग होने की अंतिम तारीख 29 मार्च है। जनवरी में यह बिल खारिज हो गया है। इस बिल की मियाद 30 जून तक बढ़ाई जा सकती है लेकिन इसे अधिक महीनों तक नहीं टाल सकते क्योंकि इस पर दुबारा जनमत संग्रह कराना मुश्किल है।

थेरेसा मे का कहना है कि उनके द्वारा प्रस्तावित डील (ईयू से अलग होने के तौर-तरीके, नियम-कायदे) देश के लिए बेहतर है। ऐसे में यह कह पाना मुश्किल है कि यदि यह डील खारिज हो जाती है तो आगे क्या होगा। पिछले महीने थेरेसा मे ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि लोग इस बात को समझेंगे कि जब वे कहती हैं कि यह डील अगर पास नहीं हुआ तो निश्चित ही गंभीर दिक्कतों में पड़ने की आशंका है।

हालांकि उन्हें भरोसा है कि ऐसा नहीं होगा। उन्होंने कहा, “ब्रेक्जिट के नहीं होने के खतरे या ईयू को बिना किसी करार के छोड़ने का अर्थ देश के लिए बहुत बड़े स्तर पर अनिश्चितता की शक्ल में सामने आएगा।” इसके पहले खबरें थीं कि कुछ दिनों के लिए ब्रेग्जिट बिल पर वोटिंग को टाला जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और संसद में इस पर मतदान हुआ।

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ब्रिक्जिट क्या है..?

बता दें कि ब्रिक्जिट के लिए ब्रिटेन में जनमत संग्रह हुआ था। इसमें लोगों ने अपने देश को यूरोपीय संघ से अलग करने पर मुहर लगाई थी। नवंबर में ब्रिटेन ने ब्रेग्जिट डील पर सहमति जताई, लेकिन इसे संसद से पास होना जरूरी है। गौर करें कि ”यूरोपीय यूनियन से ब्रिटेन के अलग होना ब्रिक्जिट कहलाता है”। मालूम हो कि यूरोपीय यूनियन में 25 देश सदस्य हैं। जिनके बीच सामाजिक, राजनीति और व्यापारिक साझेदारी है। लेकिन अब ब्रिटेन अपने को संघ से अलग करना चाहता है। मुख्य रूप से इसके पीछे ब्रिटेन का मानना है कि वह आर्थिक रूप से संपन्न है और उसको अपेक्षाकृत यूरोपीय यीनियन के सदस्य उसका लाभ उठाते हैं।

पीएम थेरेसा मे सांसदों को चेता चुकी हैं कि यह बिल अगर समय पर पारित नहीं हुआ तो पूरा देश मुश्किल में पड़ सकता है। मे का संकेत उस तरफ भी था कि संभव है ब्रिटेन को नए चुनाव के लिए उतरना पड़े। लेकिन सांसदों ने इसकी चिंता किए बिना ही बिल के खिलाफ वोट किया। पूर्व प्रधानमंत्री डेविट कैमरन भी मे की तरह ब्रेग्जिट बिल का समर्थन कर चुके हैं। उनका मानना है कि देश यूरोपीयन संघ को छोड़ देगा और एकल बाजार के साथ जुड़ेगा। मौजूदा स्थिति में ब्रिटेन का पूरा बाजार और अर्थव्यवस्था यूरोप के साथ जुड़ा है। ऐसे में ब्रिटेन को इकोनॉमी का उतार चढ़ाव झेलना पड़ता है। इसका मतलब है कि यूरोप के अन्य देशों की अर्थव्यवस्था पर जो असर पड़ता है, उसका असर ब्रिटेन पर भी पड़ता है।

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