देश featured

सरकार ने माना, 1945 में हवाई हादसे में हो गई थी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत

Untitled 83 सरकार ने माना, 1945 में हवाई हादसे में हो गई थी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत

नई दिल्ली। नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु 1945 में हवाई हादसे में हो गई थी। इस घटना को केंद्र सरकार ने एक आरटीआई के जवाब में इस बात की स्वीकारा है। केंद्र सरकार ने शायद पहली बार लिखित तौर पर कहा है कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मृत्यु एक विमान दुर्घटना में 1945 में ताइवान में हुई थी।

Untitled 83 सरकार ने माना, 1945 में हवाई हादसे में हो गई थी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मौत

सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत मांगी गई जानकारी के जवाब में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने जवाब दिया है, “शहनवाज कमेटी, जस्टिस जीडी खोसला कमीशन और जस्टिस मुखर्जी कमीशन की रिपोर्टें देखने के बाद सरकार इस नतीजे पर पहुंची है कि नेताजी 1945 में विमान दुर्घटना में मारे गए थे। ”

गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा है, “मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट के पृष्ठ संख्या 114-122 पर गुमनामी बाबा और भगवानजी के बारे में जानकारी उपलब्ध है। मुखर्जी कमीशन के अनुसार गुमनामी बाबा या भगवानजी नेताजी सुभाषचंद्र बोस नहीं थे। गृह मंत्रालय ने नेताजी से जुड़ी 37 गोपनीय फाइलें सार्वजनिक कर दी हैं।”

परन्तु नेताजी के परिजन केंद्र सरकार के इस जवाब से खुश नहीं हैं। नेताजी के परपोते और बंगाल भाजपा के उपाध्यक्ष चंद्रा बोस कहते हैं, “ये गैर-जिम्मेदार कदम है….बगैर किसी ठोस सबूत के कोई सरकार नेताजी की मौत पर अंतिम राय कैसे बना सकती है।” चंद्रा बोस ने केंद्र सरकार के जवाब को “बहुत ही आपत्तिजनक” बताया। चंद्रा बोस ने कहा कि वो इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने उठाएंगे। चंद्रा बोस ने कहा, “उन्होंने (पीएम मोदी) 70 साल बाद गोपनीय दस्तावेज सार्वजनिक किए।

हमारी मुलाकात में उन्होंने जांच को इसके तार्किक परिणति तक पहुंचाकर इस रहस्य को हल करने का वादा किया था।”
चंद्रा बोस के अनुसार मुखर्जी कमीशन का गठन इसलिए किया गया था क्योंकि दूसरे कमीशनों और कमेटियों की रिपोर्ट से साफ जवाब नहीं मिले थे। चंद्रा बोस कहते हैं, “मुखर्जी कमीशन ने साफ लिखा कि नेताजी विमान दुर्घटना में नहीं मरे थे और वो चीन या रूस चले गए थे। कांग्रेस ने राजनीतिक वजहों से मुखर्जी कमीशन की रिपोर्ट खारिज कर दी थी।”

इसी साल मार्च आरटीआई द्वारा सूचना मांगने वाले सायक सेन “ओपेन प्लेटफॉर्म फॉर नेताजी” प्रवक्ता हैं। सायक सेन कहते हैं, “मैं इस जवाब से स्तब्ध हूं। अगर सरकार इस नतीजे पर पहुंच चुकी है तो फिर सभी गोपनीय फाइलों को सार्वजनिक करने का क्या मतलब?” सायक सेन ने बताया कि नेताजी के परिजन एवं अन्य लोग 18 अगस्त को कोलकाता में और अक्टूबर में दिल्ली में नेताजी की मौत से जुड़ा सच सामने लाने की मांग करते हुए रैली निकालेंगे।

Related posts

असम के चुनावी रण में प्रियंका, ‘सरकार बनी तो CAA होगी रद्द’

Sachin Mishra

अनंतनाग में इंटरनेट सेवाएं चालू

rituraj

रिश्तेदार ने उड़ाया मजाक…तो इस भारतीय ने बुर्ज खलीफा में खरीदे 22 फ्लैट

bharatkhabar