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रोजगार के क्षेत्र में हस्तशिल्प व हथकरघा से मिलेगी बड़ी कामयाबी

lalji tandan रोजगार के क्षेत्र में हस्तशिल्प व हथकरघा से मिलेगी बड़ी कामयाबी

भोपाल। राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा है कि वैश्वीकरण के तेजी से बदलते युग में हस्तशिल्प और हथकरघा क्षेत्र के विकास के लिए काम करना चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि भारत की प्राचीन हस्तशिल्प और हथकरघा प्रणाली को विकसित करके हम अधिक से अधिक रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं।

राज्यपाल गुरुवार को हिंदी भवन में बीआर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित त्रिस्तरीय पंचायती राज प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

टंडन ने कहा कि पंचायत राज व्यवस्था हमेशा ग्रामीण विकास की धुरी रही है। हमारे देश के हस्तशिल्प और हथकरघा को दुनिया भर में मान्यता दी गई है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मशीनीकरण युग ने इन कलाओं के विकास को प्रभावित किया है।

प्राचीन काल में, इन कलाओं के माध्यम से अधिक लोग अपने गांव में ही रोजगार के अवसर प्राप्त करते थे। राज्यपाल ने कहा कि देश की जनजातीय संस्कृति की समृद्धि के लिए भी निरंतर प्रयास आवश्यक हैं। बीआर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर आशा शुक्ला ने कहा कि विश्वविद्यालय लगातार अंबेडकर के सपनों और आदर्शों पर काम कर रहा है।

उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अधिकतम अवसर पैदा करने के लिए पंचायत प्रतिनिधियों को प्रशिक्षण देने की व्यवस्था की गई है। विश्वविद्यालय हस्तशिल्प और हथकरघा के विकास के लिए जागरूकता कार्यक्रम भी चला रहा है।

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