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52 हजार साल पहले उल्का पिंड से बनी लोनार झील अचानक हुई लाल, क्या कोई अनहोनी होने वाली है?

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महाभारत और रामायण काल से पहले बनी लोनार झील रहस्यों से परेशान नासा..

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जब से कोरोना शुरू हुआ तब से आपने सबसे ज्यादा नाम उल्का पिंड का सुना होगा। उल्का पिंड को लेकर आये दिन वैज्ञानिक नई से नई भविष्यवाणी करते रहते हैं। लेकिन क्या आपको पता है 52 हजार साल पहले पृथ्वी पर तीन उल्का पिंड गिरे थे। जिसकी वजह से एक विशाल झील बन गई थी। इस झील को देखने को लिए हर साल हजारों की संख्या में महाराष्ट्र पहुंचते हैं। लेकिन इस झील को लेकर हैरानी तो तब हुई जब कोरोना की आफत के बीच इस झील का पानी लाल हो गया।

जिसकी वजह से स्थानीय लोगों में काफी चर्चा हो रही है। चलिए आपको उल्का पिंड से बनी हुई इस रहस्यमाय झील से जुड़ी हुई रोचक जानकारी देते हैं।लोनार लेक खारे पानी की झील है, जो महाराष्ट्र के बुलढ़ाणा जिले में है। साइंटिस्टों का मानना है कि यह झील उल्का पिंड की टक्कर से बनी है। इसका खारा पानी इस बात को दर्शाता है कि कभी यहां समुद्र था। करीब दस लाख टन वजनी उल्का पिंड टकराने से ये झील बनी होगी।

करीब 1.8 किलोमीटर डायमीटर की इस उल्कीय झील की गहराई लगभग पांच सौ मीटर है। इस झील के पानी पर आज भी देश-विदेश के कई साइंटिस्ट रिसर्च कर रहे हैं। कहा जाता है कि झील के पानी में समय-समय पर बदलाव होते हैं।

यह बदलाव क्यों होते हैं इस बात पर आज भी रहस्य कायम है और कई साइंटिस्ट इस राज को जानने में जुटे हुए हैं।
पृथ्वी से टकराने के बाद उल्कापिंड तीन हिस्सों में टूट चुका था और उसने लोनार के अलावा अन्य दो जगहों पर भी झील बना दी। हालांकि अब अन्य दो झीलें पूरी तरह सूख चुकी है पर लोनार में आज भी पानी मौजूद है।

लगभग वर्ष 2006 के आसपास लोनर झील में अजीब-सी हलचल हुई थी, झील का पानी अचानक भाप बनकर खत्म हो गया। गांव वालों ने पानी की जगह झील में नमक और अन्य खनिजों के छोटे-बड़े चमकते हुए क्रिस्टल देखे थे।

एक बार फिर से इस झील में कुछ अजीब चीजें देखने को मिली हैं।
लोनार झील का पानी अचानक लाल रंग में बदल गया है। पहली बार हुए इस बदलाव को देखकर आम लोग और वैज्ञानिक हैरान हैं।बुलढाना जिले के तहसीलदार सैफन नदाफ ने बताया कि पिछले 2-3 दिन से लोनार झील का पानी लाल रंग में बदल गया है। हमने वन विभाग को पानी के सैंपल लेकर जांच कर कारण पता करने को कहा है।

वैज्ञानिकों का कहना है कि लोनार झील में हैलोबैक्टीरिया और ड्यूनोनिला सलीना नाम के कवक की वजह से पानी का रंग लाल हुआ है।निसर्ग तूफ़ान की वजह से बारिश हुई जिस कारण हैलोबैक्टीरिया और ड्यूनोनिला सलीना कवक झील की तलहट में बैठ गए और पानी का रंग लाल हो गया।

हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना यह भी है कि लोनार झील का पानी लाल होने के पीछे और भी कई कारण हो सकते हैं। जिसकी जांच होना अभी बाकी है।लोनार झील के पानी का रंग लाल होने के बाद आसपास के इलाकों से बड़ी तादाद में लोग झील देखने के लिए आ रहे हैं। कुछ लोग तो इसे चमत्कार मान रहे हैं तो वहीं कई अफवाहों ने जोर पकड़ लिया है।

आपको जानकर हैरानी होगी कि, लोनार झील बेहद रहस्यमयी है. नासा से लेकर दुनिया भर की तमाम एजेंसियां इस झील के रहस्यों को जानने में बरसों से जुटी हुई है।हाल ही में लोनार झील पर हुए शोध में यह सामने आया है कि यह लगभग 5 लाख 70 हजार साल पुरानी झील है. यानी कि यह झील रामायण और महाभारत काल में भी मौजूद थी।वैज्ञानिकों का मानना है कि उल्का पिंड के पृथ्वी से टकराने के कारण यह झील बनी थी, लेकिन उल्का पिंड कहां गया इसका कोई पता अभी तक नहीं चला है।

तो वहीं ये झील धीरे-धीर सिकुड़ती भी जा रही है। इस झील के बारे में पुराणों में लिखा हुआ है। अचानक से इस रहस्यमय झील में होते बदलावों के कारण लोगों के मनव में कई सावल उठ रहे हैं। जिनका जवाब फिलहाल न तो वैज्ञानिकों के पास है और न ही किसी ज्ञानी।

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