नई दिल्ली। भारत के आखिरी वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन की पत्नी और देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नहरू के प्रेम संबधों की बाते होती रहती हैं आज भी इस पर चर्चाओं का बाजा रगर्म रहता है कि क्या सच में नेहरू और माउंटबेटन की पत्नी के बात संबध थे। कुछ लोगों ने तो दोनों के रिश्तों पर काफी अमर्यादित बातें भी कही हैं लेकिन लंबे वक्त के बाद किसी ने इस रिश्ते को लेकर मर्यादित संज्ञा दी है और उस इंसान का नाम है पामेला माउंटबेटन। जी हां, लेडी माउंटबेटन की बेटी पामेला, जिन्होंने अपनी किताब डॉटर्स ऑफ एम्पायर दोनों लोगों के रिश्तों का जिक्र किया है। पमेला ने दोनों को रिश्ते को लेकर अपनी किताब में लिखा कि नहरू मां से प्यार करते थे लेकिन उनके बीच शारीरिक संभद कभी नहीं बने। उनका रिश्ता केवल भावनाओं का रिश्ता था।
बता दें कि माउंटबेटन की बेटी ने आगे कहा कि यही वजह थी कि कभी मेरे पिता ने मेरी मां और नेहरू के रिश्ते को लेकर कोई आपत्ति नहीं जताई। पमेला का कहना है कि मेरी मां नेहरू के विचारों से काफी प्रभावत थी और इसी लिए वो उनसे बेहद प्यार करती थी। पमेला को अपनी मां और नेहरू के प्यार का एहसास तब हुआ जब उन्होंने अपनी मां का लिखा एक पत्र पढ़ा उसके बाद पमेला को एहसास हुआ कि उनकी मां किस हद तक नेहरू से प्यार करती थी। पमेला ने ये भी लिखा की भारत छोड़ने से पहले उनकी मां अपनी पन्ने से बनी अंगूठी नेहरू को तोहफे में देना चाहती थी। लेकिन उन्हें ये भी पता था कि वो स्वीकार नहीं करेंगे। इसलिए उन्होंने अंगूठी उनकी बेटी इंदिरा को दी और कहा, यदि वह कभी भी वित्तीय संकट में पड़ते हैं, तो उनके लिए इसे बेच दें। क्योंकि वह अपना सारा धन बांटने के लिए प्रसिद्ध हैं।
वहीं उन्होंने आगे लिखा कि नेहरू की बाते उनको बहुत सकून देती थी। दोनों एक दूसरे का अकेलापन दूर करने में मदद करते थे। पमेला ने अपनी किताब ‘डॉटर ऑफ एंपायर: लाइफ एज ए माउंटबेटन’ में लिखा कि मैंने अपनी मां और नेहरू के संबधों को देखा है और उनको महसूस किया है। दोनों एक-दूसरे की दिल से इज्जत करते थे और एक-दूसरे को समझते थे। उनके बीच शारीरिक नहीं बल्कि भावनात्मक रिश्ता था।