बीजिंग। भारत की परमाणु आपुर्तिकर्ता में चीन एक बार फिर रोड़ा बनने की कोशिश कर रहा है। चीन का कहना है कि एनएसजी में भारत की सदस्यता और भी मुश्किल हो गई है। क्योंकि नई दिल्ली ने परामाणु अप्रसार की संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। चीन ने कहा किन देशों ने हस्ताक्षर नहीं किए हैं उन सभी देशों के साथ एक जैसा बर्ताव किया जाएगा फिल चाहे वो भारत हो या कोई और देश चीन ने हमेशा एनएसजी में भारत की सदस्यता को लेकर हमेशा विरोध किया है। चीन ने कभी नहीं चाहा कि भारत इस सदस्यता का हिस्सा बने। इसलिए वो हर बार भारत के रास्ते का पत्थर बनने की कोशिश करता रहता हैं।
बता दें कि एनएसजी के नियम को मुतबिक एनएसजी में किसी नए देश की सदस्यता तभी दर्ज की जाती है जब उसमें शामिल सभी देशों की सहमति हो। चीनी विदेश मंत्रालय के सहायक मंत्री ली हुलईका कहना है कि एनएसजी पर अब नई परिस्थितियों में नया मुद्दा है जो पहले के मुताबिक ज्यादा मुश्किल है। हालांकि उन्होंने इस बारे में कुछ नहीं बताया। भारत के रास्ते में हमेशा रूकावट बनने वाला चीन अभी भी अपनी जिद पर अड़ा है कि वो भारत को एस बार एनएसजी में हिस्सा नहीं लेने देगा। भारत को अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस जैसे देशों से समर्थन मिला हुआ है लेकिन चीन अपने जिद से हटने को तैयार ही नहीं है।
वहं पाकिस्तान को लेकर बीजिंग का कहना है कि अगर एनएसजी में भारत को सदस्यता मिलेगी तो पाक को भी मिलनी चाहिेए। पाकिस्तान भी एनपीटी हस्ताक्षरकर्ता नहीं है। भारत एनपीटी को पक्षपातपूर्ण मानता है। हालांकि इस मामले में अमेरिका, स्विटजरलैंड, मेक्सिको, इटली, रूस और ब्रिटेन भारत का समर्थन कर रहे हैं। लेकिन चीन मानने को तैयार नहीं है।