भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी 10 सितंबर को मनाया जाएगा। जिसकी तैयारियां पूर्ण रूप से चल रही है।
गणेश चतुर्थी पर पड़ रहा कोरोना का असर
इस साल कोरोना की वजह से गणेश चतुर्थी पर धूम-धाम कम होने की संभावना है। सूरत में मूर्ति निर्माताओं को अभी भी मूर्तियों के ऑर्डर का इंतजार है।
मूर्ति निर्माता हुए परेशान
मूर्ति निर्माताओं के अनुसार इस साल बहुत कम लोग गणेश जी की मूर्तियां खरीद रहे हैं। जिससे उनकी आजीविका बुरी तरह प्रभावित हुई है। भुवनेश्वर में कलाकार गणेश चतुर्थी से पहले बप्पा की मूर्तियां बनाने में जुटे हैं। लेकिन कोरोना के कारण प्रशासन ने दिशानिर्देशों का एक सेट जारी किया है।
कोरोना का असर
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गणेशोत्सव के मौके पर बप्पा बड़ी धूमधाम से मुंबई में विराजमान होंगे। हालांकि कोरोना संकट के चलते सार्वजनिक पंडालों पर पाबंदी लगाई गई है। इस साल गणेशोत्सव कोरोना से प्रभावित हुआ है। लेकिन कोरोनाकाल में भी गणपति बप्पा मोरया की गूंज सुनाई देगी।
बाजारों में रौनक हुई कम
इसी तरह देशभर कोरोना संकट के चलते अन्य त्योहारों की तरह गणेशोत्सव पर भी कोविड-19 का साया नजर आ रहा है। बाजारों में रौनक नहीं है। कलाकारों की मानें तो इस वर्ष उन्होंने सिर्फ 30 से 40 फीसदी ही मूर्तियां बनाई हैं।
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इसलिए मनाई जाती है गणेश चतुर्थी, ये हैं मान्यताएं
हर साल बडे जश्न के साथ मनाया जाने वाला गणेश चतुर्थी का त्यौहार फिर से दस्तक देने को है। गणेश चतुर्थी हिंदूओं का दस दिन तक चलने वाला त्यौहार होता है। जिसमें वो अपने देवता गणेश के जन्म तौर पर मनाते हैं। गणेश शंकर और पार्वती के बेटे हैं। जिन्हें 108 नामों से जाना जाता है। सभी देवताओं में सबसे पहले गणेश की ही पूजा की जाती है।
गणेश जी का जन्म
गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसीलिए हर साल इस दिन गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है। भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है।
मान्यताओं के अनुसार गणेश की कहानी
हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार गणेश के जन्म से जुड़ी कई कहानियां हैं। तो आइए जाने ऐसी ही दो कहानियों के बारे में । कहते हैं कि देवी पार्वती ने अपने शरीर से उतारी गई मैल से बनाया था। जब वो नहाने गई तो गणेश को अपनी रक्षा के लिए बाहर बिठा दिया। शिव भगवान जो पार्वती के पति हैं । जब घर लौटे तो अपने पिता से अनजान गणेश ने उन्हें रोकने की कोशिश की जिससे शिव को क्रोध आ गया और उन्होने गणेश का सिर काट दिया।
गणेश जी को कहा जाता है विघनकर्ता
जब देवी पार्वती को इस सब के बारे में पता चला तो वो शिव जी से रूष्ट हो गई। जिस पर शिव ने उन्हें गणेश का जीवन वापस लाने का वादा कर उस पर हाथी का सिर लगा दिया और इस तरह फिर से गणेश का जीवनदान मिला। लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि देवताओं के अनुरोध करने पर शिव और पार्वती ने गणेश को बनाया था। जिससे वो राक्षसों का वध कर सकें और यही कारण है कि उन्हें विघनकर्ता भी कहा जाता है।